शाश्वत, सत्य और हमारे लिए गर्व का विषय है सनातन धर्म

आलौकिक, पारलौकिक मान्यताओं से मन को खुशी प्रदान करने वाला, जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला, सत्य- अहिंसा के मार्ग पर चलाने वाला, भक्ति के सागर में डूबकर पार लगाने वाला धर्म ही तो सनातन धर्म है. इसके मूल में दया, सहिष्णुता, अहिंसा, तपस्या आदि है. सत्यं, शिवम् और सुंदरम् की परिभाषा है. यह अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर और मृत्यु से जीवन की ओर ले जाता है.

Source: News18Hindi Last updated on:February 17, 2023 12:55 PM IST
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शाश्वत, सत्य और हमारे लिए गर्व का विषय है सनातन धर्म
सनातन धर्म के मानने वालों की भी भावना है. घृणा, द्वेष की कोई जगह नहीं है.

हिंदू धर्म किसी की आस्था पर प्रहार नहीं करता. हमें गर्व है कि हम सनातन धर्म को मानने वाले हैं. सनातन धर्म की पवित्रता, लचीलापन और उससे प्राप्त होने वाली उपलब्धियां हमें हर कदम पर गौरवान्वित करती हैं. हमारी सभ्यता और संस्कृति में सनातन धर्म की छवि पारदर्शी रुप में स्पष्ट परिलक्षित होती है. वैदिक धर्म ही सत्य है. शाश्वत है. ईश्वर की सत्ता अपरंपार है. वह अनादि अनंत रुप में सदैव से ही कण-कण में दिखाई देता है. आकाश में कौंधती बिजली में, नदियों की बहती धाराओं में, वर्षा की बूदों में, पक्षियों की कूक में, जीव के जन्म मरण की प्रक्रियाओं में कौन सी जगह है जहां वो नहीं है. अपनी हर सांस में हम उस परमपिता की निकटता को हर क्षण महसूस करते हैं. वह ईश्वर हमारी भक्ति, पूजा, अर्चना का आधार है. अनेक रुपों से सबके हदय में अपनी उपस्थिति का आभास कराता है. वह परमपिता अजन्मा है. नियमित पूजा ध्यान, उपवास, पवित्रता, सात्विकता सनातन होने की वास्तविकता है. मंदिरों में, तीर्थों में पत्थरों में, सूर्य, चंद्र, तारों में हम उसे ही खोजते हैं.


सनातन धर्म अनंत काल से हमें ज्ञान और मोक्ष का मार्ग दिखाता है. हमें सद्बुद्धि प्रदान करता है. इसके मूल में दया, सहिष्णुता, अहिंसा, तपस्या आदि है. सत्यं, शिवम् और सुंदरम् की परिभाषा है. संयम के मार्ग पर चलाकर लालच से दूर रखकर स्वार्थ से मुक्त रखता है. वैदिक धर्म आभास कराता है कि ईश्वर सत्य स्वरुप है और सत्य ही सनातन है, शाश्वत है. अनादि काल से चला सत्य कभी समाप्त नहीं हो सकता. हिंदू धर्म ही एकमात्र धर्म है जो संपूर्ण ब्रह्मांड में ईश्वर, आत्मा और मोक्ष का ज्ञान कराता है. मोक्ष से जीवन सफल होता है. जप, तप, ध्यान, नियम, पूजा-पाठ सनातन धर्म की पहचान है. यह अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर और मृत्यु से जीवन की ओर ले जाता है. शास्त्र इसी महिमा को गाते हैं. पुण्य कर्मों से संचित व्यक्ति का जीवन ही सफल होता है. इसलिए सच्चाई के मार्ग पर चलकर जीव को सब प्राणियों के प्रति दया का भाव रखना चाहिए.


पुरातन इतिहास की जानकारी सत्य है कि आर्य हिंदू थे. वैदिक धर्म और सनातन धर्म को मानने वाले थे. देश के अधिकतर लोग सनातन धर्म के प्रति आस्था रखते हैं. मूल तत्व यम, नियम, चारों वेदों के समाहित होने के आधार पर इसकी उत्कृष्टता सिद्ध होती है. हमें क्षमा करना आता है. ओम सनातन परंपरा का पवित्र चिह्न है. सूक्ष्म सा मूलमंत्र समूचे ब्रह्मांड को अपने में समेटे हुए है. शांति और जीवन को दिशा देने वाला हैं. एकमात्र मंत्र है जो एकनिष्ठ होकर ध्यान करने से परमात्मा के निकट ले जाता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की महत्ता को बताता है. जन्म मृत्यु के रहस्य को स्पष्ट करता है. जन्म सुनिश्चित है और मृत्यु अटल सत्य. परमात्मा को ना समझने वाले गहन अंधकार के कूप में गिरकर अपने जीवन को व्यर्थ ही गंवाते हैं. ब्रह्म को जानना ही जीवन का लक्ष्य होता है.


मूर्ति पूजक भ्रम और भटकाव से दूर रहकर उस परम तत्व के साकार दर्शन उनकी प्रतिमाओं में करके उस परमात्मा की निकटता को महसूस करता है. यम, नियम अर्चन से परम शांति को हदय में धारण कर उसे पाना चाहता है. वेद और गीता के एक-एक शब्द पवित्र हैं जो जीवन के रहस्यों से परिचित कराते हैं पूर्ण ब्रह्म से संसार की उत्पत्ति और क्षय संभव है. सृष्टि अनंत है. आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि से बना ये शरीर मृत्यु उपरांत अग्नि को समर्पित होकर इन्हीं तत्वों में मिल जाता है. आकाश हमारी दृष्टि का केन्द्र है. वायु, अग्नि के स्पर्श को हम महसूस करते हैं. जल जीवन के लिए अनिवार्य है. पृथ्वी तो हमारा धरातल ही है इन सभी से हमारा अस्तित्व है. ये सनातन धर्म का ही सिद्धांत है. आज हिंदुस्तान में रहकर ही सनातन धर्म को बचाने की आवश्यकता है क्योंकि किन्हीं वक्तव्यों से इस पर प्रहार होने शुरु हो गए हैं. हमारे वेद पुराण, पवित्र ग्रंथ हमारी सनातन परंपरा का गौरव हैं. उनका एक-एक शब्द दिव्य वाणी का संदेश है. जीवन के लिए अमृत रस है. उनका जरा सा भी छलक जाना हमारी क्षति है.


हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए लड़ना पडता है. आगे आकर अपना ही बचाव करना पड़ता है. सहना हमारी आदतों में शामिल है इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी हमारे धर्म के बारे में कुछ भी कहकर हमारी भावनाओं को आहत कर दे. सभी के धर्म सम्मान के अधिकारी हैं. सभी हमें ज्ञान और प्रेम का संदेश देते हैं. निष्ठा की भावना सभी में होती है. हमारी संस्कृति का संदेश है तभी तो हमारा देश सारी पृथ्वी को अपना परिवार मानता है और यही हम सनातन धर्म के मानने वालों की भी भावना है. घृणा, द्वेष की यहां कोई जगह नहीं है. पवित्रता, पावनता को मन में धारण कर उस सच्चिदानंद भगवान के चरणों में नत मस्तक हो हम अपनी दिनचर्या आरंभ करते हैं. हर दिन किसी ना किसी रुप में भक्ति के आवरण में लिपटे हम ईश्वर की आराधना करते हैं. हमारी आस्था और भावनाओं की अटूट श्रृंखला हमारे विधिवत पारंपरिक अवसरों पर परिलक्षित होती है.


कहना गलत ना होगा कि जहां मिट्टी भी पूजी जाती है. जहां पत्थर और पर्वत की भी आराधना की जाती है. जहां ऋषि-मुनियों ने हर युग में हर काल में उस समय का यथार्थ चित्रण अपनी वाणी से किया है. जहां पुनर्जन्म में विश्वास है. जहां शरीर के द्वारा किए गए कर्मों का फल आत्मा को भोगना पड़ता है. जहां कर्म ही प्रधान है. जहां दूसरों के सुख-दुःख में आत्मा को वही अनुभूति होती है. यही तो वैदिक धर्म है. शाश्वत है. यही तो सनातन धर्म है. आलौकिक, पारलौकिक मान्यताओं से मन को खुशी प्रदान करने वाला, जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला, सत्य- अहिंसा के मार्ग पर चलाने वाला, भक्ति के सागर में डूबकर पार लगाने वाला धर्म ही तो सनातन धर्म है. दीये की लौ से दिल में रोशनी करने वाले, सनातन धर्म की युग-युग से अमिट पहचान सृष्टि के आरंभ से अंत तक कभी विलीन नहीं होगी. ये चिरस्थाई थी, है और रहेगी.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
रेखा गर्ग

रेखा गर्गलेखक

समसामयिक विषयों पर लेखन. शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मामलों में खास दिलचस्पी. कविता-कहानियां भी लिखती हैं.

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First published: February 17, 2023 12:55 PM IST