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Inflation Knowledge: महंगाई कैसे घट या बढ़ जाती है? खुदरा महंगाई दर तय करने में सीडी, ऑडियो-वीडियो कैसेट की भी है भूमिका
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हिंदी समाचार / न्यूज / व्यवसाय / Inflation Knowledge: महंगाई कैसे घट या बढ़ जाती है? खुदरा महंगाई दर तय करने में सीडी, ऑडियो-वीडियो कैसेट की भी है भूमिका

Inflation Knowledge: महंगाई कैसे घट या बढ़ जाती है? खुदरा महंगाई दर तय करने में सीडी, ऑडियो-वीडियो कैसेट की भी है भूमिका

महंगाई दर में बदलाव को तय करने के लिए सैकड़ों वस्‍तुओं के दामों में आए अंतर का आकलन करना पड़ता है.
महंगाई दर में बदलाव को तय करने के लिए सैकड़ों वस्‍तुओं के दामों में आए अंतर का आकलन करना पड़ता है.

WPI and CPI Inflation - महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिये मापकर तय किया जाता ह ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. खाने-पीने की वस्तुओं, मैन्युफैक्‍चर्ड प्रोडक्‍ट्स, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नरमी के चलते थोक महंगाई दर नवंबर में 21 महीने के निचले स्‍तर 5.85 फीसदी पर पहुंच गई है. थोक महंगाई दर 19 महीने तक 10 फीसदी से ऊपर रहने के बाद अक्‍टूबर 2022 में 8.39 फीसदी रह गई थी. क्‍या आपको पता है कि थोक और खुदरा महंगाई दर कैसे तय होती है? इन्‍हें तय करने में किन किन चीजों की कीमतों की भूमिका रहती है? आइए जानते हैं ऐसे ही अहम सवालों के जवाब.

महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिये मापकर तय किया जाता है. इनसे पता चलता है कि वस्‍तुओं के थोक और खुदरा मूल्यों में कितना बदलाव हुआ है. खुदरा मूल्‍य सूचकांक को 299 चीजों की कीमतों के आधार पर मापा जाता है. इसमें ऐसे कई सामान हैं, जिनका अब हम इस्‍तेमाल तक नहीं करते हैं. खुदरा महंगाई दर तय करने में क्रूड ऑयल, कमोडिटी प्राइस, उत्पादन लागत के अलावा कई चीजों की भूमिका होती है.

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थोक मूल्‍य सूचकांक में 10 से 12 फीसदी ऐसी चीजें शामिल हैं, जिनका अब कोई इस्‍तेमाल नहीं करता है.

खुदरा महंगाई में 12% निष्क्रिय वस्‍तुएं भी शामिल
नोकिया के पुराने फोन, सीडी, ऑडियो कैसेट जैसी कई वस्तुओं का अब कोई इस्तेमाल नहीं करता है. फिर भी खुदरा महंगाई दर तय करने में इनकी कीमतों का इस्तेमाल होता है. ये चीजें उन 10 से 12 फीसदी प्रोडक्‍ट्स में हैं, जो अब निष्क्रिय हो चुकी हैं. इनमें केबल टीवी, वीसीडी या डीवीडी का किराया, सीडी, डीवीडी, ऑडियो-वीडियो कैसेट, टू-इन-वन रेडियो और टेप रिकॉर्डर भी शामिल हैं. महंगाई आम जरूरत की ज्यादातर चीजों और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को दर्शाती है. इनमें परिवहन, भोजन, कपड़े, घर, मनोरंजन पर खर्च शामिल हैं. महंगाई चीजों और सेवाओं की कीमतों में होने वाले बदलाव को दर्शाती है. इंफ्लेशन किसी देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में गिरावट को दर्शाता है.

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कैसे तय होती है WPI आधारित महंगाई की दर
थोक मूल्‍य सूचकांक में वस्‍तुओं को तीन हिस्‍सों में बांटा जाता है. इसमें प्राइमरी आर्टिकल (खाद्य व गैर-खाद्य वस्‍तुएं), ईंधन और विनिर्मित वस्‍तुएं शामिल की जाती हैं. खाद्य वस्‍तुओं में अनाज, गेहूं, दाल, सब्‍जी, फल, दूध, अंडा, मांस-मछली और गैर-खाद्य में तेज के बीज, क्रमड ऑयल, खनिज संसाधनों को शामिल किया है. ईंधन में पेट्रोल, डीजल, पीएनजी, सीएनजी और एलपीजी को शामिल किया जाता है. वहीं, विनिर्मित वस्‍तुओं में कपड़े, रेडिमेड गारमेंट्स, सीमेंट, चीनी, कैमिकल को शामिल किया जाता है. इन चीजों के दामों में आने वाले अंतर के आधार पर थोक महंगाई दर तय की जाती है.

आम उपभोक्‍ता पर क्‍या होता है इसका असर
महंगाई दर बढ़ने या घटने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. थोक में अगर किसी वस्‍तु के दाम घटते हैं तो आम उपभोक्‍ता को खुदरा में इसके कम दाम चुकाने होते हैं. इसके उलट अगर थोक में किसी वस्‍तु के दाम बढ़ते हैं तो आम आदमी को खुदरा में इसके ज्‍यादा दाम चुकाने होते हैं. महंगाई की दर घटने पर मुद्रा की क्रय शक्ति बढ़ जाती है. इससे उस देश में रहने का खर्च कम कर देती है. इससे अर्थव्‍यवस्‍था वृद्धि की ओर बढ़ती है. भारत में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय महंगाई की दर तय करता है.

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