भटनेर दुर्ग: हिन्दुस्तान का सबसे पुराना और मजबूत किला, रजिया सुल्तान भी रही थी यहां कैद, PHOTOS
हनुमानगढ़. भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर (India-Pakistan border) पर स्थित श्रीगंगानगर जिले से सटे प्रदेश के नहरी इलाके के हनुमागनढ़ शहर का भटनेर किला (Bhatner Fort) देश के सबसे पुराने किलों में शामिल है. ज्ञात इतिहास के अनुसार इस किले की स्थापना 255 ईस्वी में बताई जाती है. PHOTOS मे देखें किले की खासियत.
विलुप्त सरस्वती नदी और वर्तमान की घग्घर नदी के मुहाने पर करीब 1762 साल पूर्व स्थापित यह किला राजस्थान का सबसे पुराना किला माना जाता है. इसके साथ ही यह सबसे मजबूत किलों में भी शामिल रहा है. तैमूर लंग ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है कि उसने इससे मजबूत किला पूरे हिन्दुस्तान में नहीं देखा है.
52 बीघों में फैले 52 बुर्जों के इस किले का इतिहास जितना शानदार है आज इसकी हालत उतनी ही जर्जर है. इतिहासकारों के अनुसार मंगलवार को जीतने के कारण इस किले का नाम भटनेर से बदलकर हनुमानगढ़ कर दिया गया था. किले के आसपास आबादी बस चुकी है और इसके बुर्ज जर्जर होकर कभी भी गिरने की स्थिति में आ चुके हैं.
पुरातत्व विभाग भी इस किले के रखरखाव पर करोड़ों का बजट खर्च कर चुका है. इस बजट में लाखों रुपये के घोटाले का मामला सीबीआई में भी चल रहा है. जैसलमेर के राजा भूपत सिंह द्वारा स्थापित इस किले के साथ उन्होने पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा में भी किले स्थापित किये थे. भाटी राजा होने के कारण ही इस किले का नाम भटनेर और भाटी होने के कारण ही पंजाब के किले का नाम भटिण्डा पड़ा.
इतिहासकारों के अनुसार इस किले से पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा तक एक बहुत बड़ी भूमिगत सुरंग थी. विदेशी आक्रमणकारी जब भारत में प्रवेश करते तो उनका पहला सामना भटनेर से ही होता था. अगर किसी स्थिति में भटनेर के राजा हार जाते तो वे नीचे सुरंगों से ही आगे भटिण्डा और सिरसा पहुंच जाते और उनको सूचना दे देते जिससे उनको पहले आक्रमण करने का मौका मिल जाता.
इसलिए ही भटनेर को भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है क्योंकि मुगलों सहित जितने भी विदेशी आक्रांता भारत में आये उनका पहला सामना भटनेर में ही होता था. इस किले में रानियों द्वारा जौहर किये जाने का शीलालेख भी लगा हुआ है. इसके साथ ही इस मंदिर में करीब 1500 साल पुराना एक जैन मंदिर भी है जिससे पता चलता है कि यहां के राजाओं में जैन सम्प्रदाय के प्रति भी रूझान था. कहा जाता है कि दिल्ली सल्तनत की महारानी रजिया सुल्तान को भी कभी इस किले में कैद करके रखा गया था और भगवान परशुराम ने भी इसी स्थान पर सरस्वती नदी के किनारे साधना की थी. राजस्थान में चूना पत्थर से निर्मित चंद किलों में भटनेर का किला भी शामिल है.
वर्तमान में इस किले में देखने को कुछ भी नहीं बचा है. बल्लियों के सहारे किले की दीवारों और छतों को सहारा दिया गया है. ऐसे में अगर कोई विदेशी या देशी पर्यटक भूला-भटका यहां आ भी जाता है तो उसको निराशा ही हाथ लगती है. इसे विडम्बना ही कहेंगे कि देश के सबसे पुराने किलों में शुमार होने के बावजूद यह किला आज तक पर्यटन के नक्शे पर उभरकर नहीं आ सका और ना ही इसकी सार-संभाल के प्रति भी कोई सरकार या पुरातत्व विभाग सजग है. ऐसे में दिन-प्रतिदिन जर्जर होती जा रही इस प्राचीन धरोहर के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराये हुए हैं.