गर्मियां शुरू हुई नहीं, नैनी झील में गिरने लगा जलस्तर, ईको सेंसेटिव ज़ोन घोषित करने की मांग
स्थिति इतनी गंभीर है कि नैनीझील को 50 प्रतिशत पानी देने वाली सूखाताल झील भी सालों से पानी के लिए तरस रही है.
इस बार अच्छी बारिश और बेहतर जल प्रबंधन ने नैनी झील के संकट को कम किया है लेकिन फिर भी झील के जल स्तर में कमी दिखने लगी है. अभी गर्मी पड़नी बाकी है ऐसे में नैनीताल की लाइफ़-लाइन नैनी झील को लेकर पर्यावरणविद चिंता जताने लगे हैं. पर्यावरणविद कहते हैं कि भगवान भरोसे बैठे रहने का समय जा चुका है. नैनी झील को बचाने के लिए कदम तुरंत और बड़े स्तर पर उठाने होंगे.
इस बार अच्छी बारिश से नैनी झील में पानी पिछले साल के मुकाबले ज़्यादा है. लेकिन अभी से ही चारों तरफ पानी की कमी साफ दिखने लगी है तो किनारों पर भी डेल्टा बनने लगे हैं. झील का पानी अब तक अब तक 10 फ़ीट कम हो गया है.
नैनी झील पर्यटन आकर्षण होने के साथ ही शहर में पानी की आपूर्ति करने का मुख्य स्रोत है. जनसंख्या का दबाव बढ़ने के साथ ही बारिश और स्नोफॉल से झील को रीचार्ज करने वाले ढाई दर्जन जल स्रोत सूख गए. हांलाकि शहर में पानी की आपूर्ति को 19 एमएलडी से कम कर 8 एमएलडी तक लाया तो गया है लेकिन अब झील पर संकट छाने लगा है.
झील में जलस्तर बनाए रखना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. शहर में पानी की लगातार रोस्टिंग की जा रही है. सिर्फ नैनी झील ही नहीं नैनीताल की भीमताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल पर भी पानी की कमी दिखने लगी है. झील का गिरता जलस्तर चारों तरफ दिखने लगा है तो सिंचाई विभाग भी पानी बचाने की मुहिम में जुट गया है. सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती उम्मीद जताते हैं कि इस बार नैनी झील का पानी शून्य स्तर तक नहीं पहुंचेगा.
स्थिति इतनी गंभीर है कि नैनीझील को 50 प्रतिशत पानी देने वाली सूखाताल झील भी सालों से पानी के लिए तरस रही है. हांलाकि पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि अंधाधुंध निर्माण और जल स्रोतों पर कब्ज़े से नैनीताल में झीलों पर खतरा पैदा हुआ है. पर्यावरणविद् अजय रावत कहते हैं कि सबसे पहले नैनीताल में निर्माण कार्य रोके जाने चाहे और नैनीताल को ईको सेंसेटिव ज़ोन घोषित किया जाना चाहिए.