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चीनी नेता नहीं समझते संस्कृतियों की विविधता, भारत में ही रहूंगा: दलाई लामा

दलाई लामा बोले- चीन के राष्ट्रपति से नहीं मिलना चाहता हूं

Published
भारत
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तिब्बती (Tibbet) आध्यात्मिक नेता दलाई लामा (Dalai Lama) ने चीनी नेताओं (Chinese Leaders) पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, चीन के नेता संस्कृतियों की विविधता को नहीं समझते हैं. इसके साथ ही उन्होंने भारत (India) को धार्मिक सद्धभावना का केंद्र बताया.

न्यूज वेबसाइट अल जजीरा के अनुसार 86 वर्षीय दलाई लामा ने ये बयान बुधवार 10 नवंबर को टोक्यो में चल रही एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया.

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चीन के नेता संकीर्ण सोच वाले - दलाई लामा

चीनी नेताओ पर हमला बोलते हुए दलाई लामा ने कहा कि, चीन के कम्युनिस्ट नेता बेहद संकीर्ण सोच वाले हैं और वो तिब्बत और शिनजियांग की अनोखी संस्कृति का सम्मान नहीं करते हैं.

अल जजीरा में छपी खबर के अनुसार दलाई लामा ने कहा कि, परेशानी चीन के हान चीनी लोगों द्वारा बहुत ज्यादा नियंत्रण करने के कारण शुरू होती है. हान चीनी चीन में सबसे बड़ा जातीय समूह है. दलाई लामा ने कहा- मैं कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को माओ जेदोंग के समय से जानता हूं. उनके विचार अच्छे हैं लेकिन कभी-कभी वो हद से अधिक कठोर नियंत्रण करते हैं.

जब चीन ने ताइवान पर हमला बोला तब दलाई लामा 1959 में अपने समर्थको के साथ भारत आ गए थे. चीन तबसे दलाई लामा को एक अलगाववादी नेता मानता है जो चीन से ताइवान को अलग कर देना चाहते हैं.

इवेंट के दौरान दलाई लामा ने ताइवान को चीन की प्राचीन संस्कृति का सच्चा भंडार बताया और कहा कि अब वहां बहुत अधिक राजनीतिकरण हो गया हैं. उन्होंने कहा कि उनका चीनी राष्ट्रपति से मिलने का कोई प्लान नहीं है. वो भारत में खुश हैं और यहीं रहना चाहते हैं. हां वो चीन जाकर अपने कुछ पुराने दोस्तों से जरूर मुलाकात करना चाहेंगे.

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