नैनीताल : नैनीताल झील और नैनीताल शहर के साथ आज इतिहास का एक और नया पन्ना जुड़ गया है। आज नैनीताल में कुछ ऐसा हुआ, जो जुलाई माह में पहले कभी नहीं हुआ था। नैनीताल झील में जुलाई माह में पहली बार 10.9 फीट तक पानी अतिरिक्त भर गया। इसे कम करने के लिए आज तक के इतिहास में पहली बार झील के गेट खोले गए। हालांकि गेट केवल एक इंच ही खोला गया। इसे नैनी झील को तरोताजा करने के लिए भी किया जाता है। दरअसल, इससे झील का पारिस्थितिकी तंत्र भी फिर से तरोताजा हो जाता है। नैनी झील को यह मौका साल में केवल एक बार बरसात में ही मिल पाता है।
जुलाई महीने में पहली बार इस स्तर पर पहुंचा
नैनी झील में 1977 से लेकर आज तक जुलाई महीने में पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई माह में झील का जलस्तर 10.9 फिट पहुंच गया, जो अब तक का रिकाॅर्ड है। ऐसा भी पहले बार हुआ, जब झील के गेट निर्धारित मानक पर नहीं खोले गए। इससे सपहले झील के गेट 8.5 फिट तक के जल स्तर पर खोला जाता रहा था। इससे पहले नैनी झील का जल स्तर जुलाई माह में 1981 में 9.5 फिट, 1982 में 10 फिट, 1986 में 9.9 फिट, 1989 में 10 फिट, 1990 में 9.58 फिट, 1992 में 9.8 और 1993 में 9.72 फिट तक पहुंचा था।
2017 में स्थिति बहुत खराब हुई
आमतौर पर पहले जुलाई में झील हमेशा ही तलबल रहती थी। लेकिन, राज्य बनने के बाद 2000 के बाद बढ़ती पेयजल की जरूरतों के कारण झील का जलस्तर लगातार घटता चला गया। इसको लेकर वैज्ञानिकों ने भी चिंता जाहिर की थी। 2017 में स्थिति बहुत खराब हो गई थी, तब लोगों ने सरकार का ध्यान इस ओर खींचने के लिए रचनात्मक आंदोलन भी चलाया था। उसके बाद झील से पेयजल के पानी में 50 फीसद से अधिक की कटौती की गई। जिसका असर भी नजर आया। 2018 में भी झील के गेट खोले गए थे और अब 2020 में खोले जा रहे हैं।
8 एमएलडी पेयजल
नैनी झील से पहले लोगों को पेयजल के लिए 17.5 एमएलडी तक पानी दिया जाता था। लेकिन, जलस्तर घटने के बाद इसे कम कर आधा यानी 8 एमएलडी तक कर दिया गया, जो आज भी जारी है। झील से बल्दियाखान, बेलुवाखान, एरीज और मनोरा समेत अन्य गांवों और क्षेत्रों को पानी मिलता है। इसके अलावा एयरफोर्स भवाली और लड़ियाकांठा तक की पेयजल किल्लत दूर हो जाती है। इसके अलावा झील का पानी रिसता भी रहता है।