झीलों के शहर नैनीताल का मुख्य आकर्षण है "नैनी झील" (Naini Lake)। शहर के बीचों-बीच स्थित यह झील हरे-भरे पहाड़ों से घिरी है। पर्यटक यहाँ बोटिंग और झील के निकट नैना देवी में माँ नैना देवी (Naina Devi) के दर्शन कर सकते हैं।
झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल (Mallital) और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल (Tallital) कहते हैं। इस ताल के पानी की भी अपनी विशेषता है। गर्मियों में इसका पानी हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला हो जाता है। रात के समय बल्ब की रोशनी के प्रतिबिम्ब झील की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।
नैनी झील को त्रि-ऋषि सरोवर भी कहा जाता है। श्री स्कन्द पुराण के मानस खंड के अनुसार तीन ऋषियों अत्री, पुलस्त्य और पुलाह ने इस झील का निर्माण किया था। अपनी तीर्थ यात्रा के मार्ग में तीनों को बहुत प्यास लगी लेकिन कहीं जल न मिलने पर उन्होंने एक गड्ढा कर उसमें मानसरोवर का जल भर दिया जिसके फलस्वरूप नैनी झील का निर्माण हुआ।
कहा जाता है कि पहले नैनीताल में करीब 60 तालें अथवा झीलें थी इसलिए इसे "झीलों का शहर" (City of Lakes) कहा जाता था लेकिन समय के साथ-साथ बढती आधुनिकता में वनों की कटाई और प्रदुषण से अधिकतम झीलें सुख गई।