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टेरर फंडिंग केस में कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली के खिलाफ 'हैरी पॉटर' ने दी गवाही!

कश्मीर के चर्चित टेरर फंडिंग केस में कारोबारी जहूर वटाली को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. आपको जानकर अचरज होगा कि नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने वटाली के खिलाफ 'हैरी' 'पॉटर' को गवाह के रूप में इस्तेमाल किया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार Warner Brothers)
प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार Warner Brothers)

साल 2017 के कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली के खिलाफ 'हैरी' 'पॉटर' को गवाह के रूप में इस्तेमाल किया था. यह बात थोड़ी अजीब लग रही है न! 'हैरी पॉटर' प्रख्यात लेखि‍का जे.के. रोलिंग के उपन्यासों का मशहूर कैरेक्टर है. आइए जानते हैं कि पूरा माजरा क्या है?

असल में आतंकियों से खतरे को देखते हुए एनआईए इस मामले में गवाहों का नाम उजागर नहीं करना चाहती थी. कम से कम आठ ऐसे गवाह थे जिनके नाम एनआईए ने गोपनीय रखने का निर्णय लिया था. इन गवाहों को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत गवाही देनी थी. इसलिए एजेंसी ने इन गवाहों को कोड नाम 'चार्ली', 'रोमियो', 'अल्फा', 'गामा', 'पाई', 'पॉटर', 'हैरी' और 'कॉक्स' रखे.

वटाली को गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली है. उसके वकील ने शिकायत भी की कि उसके मुवक्किल को गुप्त गवाहों के बयान उपलब्ध नहीं कराए गए.

जिन गवाहों का नाम गोपनीय नहीं था, उनमें वटाली के अकाउंटेंट गुलाम मोहम्मद भट्ट भी थे, जिनके मकान से कई दस्तावेज बरामद करने का दावा किया गया था. ऐसे ही एक दस्तावेज संख्या 132 में कई अलगाववादी नेताओं जैसे मसरत आलम, यासीन मलिक, शबीर शाह और सैयद अली शाह गिलानी का नाम था जिनको रकम देने का उल्लेख था.

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हालांकि, एजेंसी कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाई कि जिस डेट पर रकम इन नेताओं को देने का दावा किया गया था, उस डेट में उनके बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर भी हुए.

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