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जोधपुर मेला: यहां शादी के लिए रात में कुंवारे लड़कों को मारती हैं महिलाएं

जोधपुर में दुनिया के सबसे अनोखे मेले का आयोजन किया गया. प्रचीन काल से चले आ रहे, इस मेले की खासियत यह है कि भाभी अपने देवर और अन्य कुंवारे युवकों को प्यार से छड़ी मार कर बताती है कि यह कुंवारा है. मान्यता है कि जिसके बाद लड़कों की शादी जल्द हो जाती है. 

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जोधपुर का प्रसिद्ध धींगा गंवर मेला (फोटो-आजतक)
जोधपुर का प्रसिद्ध धींगा गंवर मेला (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शहर में पूरी रात होता है औरतों का राज, पुरुषों होती है पिटाई
  • 563 सालों से चली आ रही है धींगा गवर माता की पूजा

राजस्थान के जोधपुर में दुनिया के सबसे अनोखे मेले का आयोजन किया जाता है, जहां पर 16 दिन पूजा करने के बाद सुहागिन महिलाएं अलग-अलग स्वांग रचकर रात में सड़कों पर निकलती हैं, इसे बेंतमार के नाम से भी जाना जाता है. प्रचीन काल से चले आ रहे, इस मेले की खासियत यह है कि भाभी अपने देवर और अन्य कुंवारे युवकों को प्यार से छड़ी मार कर बताती हैं कि यह कुंवारा है. जिसके बाद कुंवारे लड़कों की शादी जल्द हो जाती है. 

इस मेले के दौरान पूरी रात में शहर की सड़कों पर सिर्फ महिलाएं ही दिखती हैं और हर महिला के हाथ में एक छड़ी होती है जैसे ही कोई पुरुष सामने दिखता है तो उसे छड़ी से मार पड़ती है. 

इस मेले में 16 दिन तक धींगा गवर माता का पूजन होता है, वहीं 16वें दिन पूरी रात महिलाएं घर से बाहर रहती है और अलग-अलग समय में धींगा गवर की आरती करती है. मेले में महिलाएं अलग-अलग स्वांग रच कर पूरी रात शहर में घूमती हैं.

दुनिया में सिर्फ जोधपुर में ही धींगा गवर का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान से बल्कि दुनियाभर के लोग जोधपुर पहुंचते हैं. इस धींगा गवर की अनूठी पूजा करने वाली महिलाएं दिन में 12 घंटे निर्जला उपवास करती है. 

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जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने 1459 में की थी और तभी से धींगा गवर पूजन का आयोजन किया जा रहा है. 563 सालों से यह पूजा चली आ रही है. इसके पीछ यह मान्यता है कि मां पार्वती ने सती होने के बाद जब दूसरा जन्म लिया था तो वो धींगा गवर के रूप में आई थी.

व्रत रखने वाली महिलाएं एक समय भोजन करती हैं और माता की पूजा में मीठा का भोग लगाया जाता है. जो महिलाएं यह व्रत रखती है उनके हाथ में एक डोरा बंधा होता है जिसमें कुमकुम से 16 टीके लगाए जाते हैं.

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