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बौद्ध गुरु दलाई लामा से वार्ता को तैयार चीन, कहा- तिब्बत मसले पर नहीं होगी बात

चीन (China) ने बुधवार को कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा (His Holiness Dalai Lama) के साथ ‘भविष्य’ पर वार्ता करने के लिए तैयार है. लेकिन तिब्बत से जुड़े किसी मुद्दे पर बात नहीं होगी.

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बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (फाइल फोटो)
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बौद्ध गुरु दलाई लामा से बातचीत को राजी हुआ चीन
  • लेकिन तिब्बत मसले पर बात करने से किया इनकार

चीन (China) ने कहा है कि वह तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (His Holiness Dalai Lama) के साथ उनके भविष्य को लेकर बातचीत करने को तैयार है. लेकिन इस बातचीत में तिब्बत से जुड़े किसी मुद्दे पर बात नहीं होगी.

बुधवार को तोक्यो फॉरेन कॉर्सपोंडेंटे्स क्लब की मेजबानी वाले ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा कि वह भारत में शांति से रहना पसंद करते हैं.

उन्होंने भारत के तारीफ में कहा है कि देश में धार्मिक सद्भाव है. तिब्बती बौद्ध गुरु ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं है. हालांकि, उन्होंने पुराने मित्रों से मिलने के लिए तिब्बत की यात्रा करने की अपनी इच्छा प्रकट की.

दलाई लामा ने शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल को लेकर किसी भी तरह के कमेंट करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा है कि चीनी कम्युनिस्ट नेता विभिन्न संस्कृतियों की विविधता को नहीं समझते हैं. वास्तविकता ये है कि बहुत ज्यादा कंट्रोल लोगों को नुकसान पहुंचाएगा.

बता दें, तिब्बत पर चीन के कब्जा करने के बाद बौद्ध गुरु दलाई लामा अपने कुछ अनुयायियों के साथ 1959 में वहां से पलायन कर गये थे और तब से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं.

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'चीन दलाई लामा से वार्ता के लिए तैयार'

दलाई लामा की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए कहे जाने और यह पूछे जाने पर कि क्या बीजिंग उन्हें चीन या तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति देगा, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने यहां प्रेस वार्ता में कहा कि बीजिंग तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ वार्ता के लिए तैयार है. वांग ने कहा, ''चीन में केंद्रीय सरकार, 14 वें दलाई लामा के साथ मुद्दों पर बातचीत व चर्चा करने पर अपना रुख पूर्ववत और स्पष्ट रखे हुए हैं. वार्ता के दरवाजे खुले हुए हैं. मैं कहना चाहूंगा कि सिर्फ दलाई लामा के भविष्य के विषय पर चर्चा हो सकती है और उसमें तिब्बत का विषय नहीं होगा.''

'चीनी लोगों का विश्वास जीतना होगा'

उन्होंने कहा, ''दलाई लामा को यह कार्य करना है कि उन्हें अलगाववादी गतिविधियों को रोकना है और केंद्रीय सरकार व चीनी लोगों का विश्वास जीतने के लिए ठोस उपाय करने हैं.'' उन्होंने निर्वासित तिब्बती सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ''यह एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है. यह चीन के संविधान और कानून के खिलाफ है, यह एक अवैध संगठन है. दुनिया का कोई भी देश इसे मान्यता नहीं दे रहा.''

चीन ने तिब्बत में अपना नियंत्रण बढ़ाया

उल्लेखनीय है कि मई में जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में कहा गया था कि दलाई लामा के किसी भी उत्तराधिकारी को चीन सरकार की मंजूरी होनी चाहिए. इस बीच, चीन ने तिब्बत में अपना नियंत्रण बढ़ा दिया. पिछले महीने, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने वांग जुनझेंग को तिब्बत में पार्टी की इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था जबकि उन पर अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और कनाडा ने शिंजियांग में उयगुर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकार हनन में कथित भूमिका को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है.


 

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