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नैनीताल: नैनी झील में घुला 'जहर', रोजाना मिल रहे खतरनाक संकेत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल Updated Fri, 09 Feb 2018 01:06 PM IST
nainital naini lake is poisonous
झील में रोजाना 10 से अधिक मछलियां मर रहीं हैं - फोटो : अमर उजाला
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विश्व प्रसिद्ध नैनी झील में 'जहर' घुल गया है। जिसके संकेत रोजाना मिलने लगे हैं। यह एक बड़ी चिंता का विषय है।



झील के प्रदूषण और घटते जल स्तर पर तीन संस्थाएं शोध कर रही हैं। तीनों संस्थाएं छह महीने में रिपोर्ट देंगी लेकिन झील में रोजाना 10 से अधिक मछलियां मर रहीं हैं। इन्हें पालिकाकर्मी रोज हटा रहे हैं।

नैनी झील में बढ़ रहा प्रदूषण चिंता का विषय बना है। झील का सौंदर्य बनाए रखने, जल स्तर सहेजने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है। इसलिए सिंचाई विभाग ने झील के प्रदूषित होने का कारण जानने के लिए आईआईटी रुड़की की अल्टरनेट हाइड्रो इनर्जी सेंटर, एनआईएच, मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान से अनुबंध किया है।

झील में मछलियों का मरना प्रदूषण का प्रमुख कारण

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आईआईटी रुड़की की टीम अब जांच कर रही है - फोटो : अमर उजाला
दो संस्थाओं की टीमें यहां आकर इसकी जांच कर चुकी हैं जबकि आईआईटी रुड़की की टीम अब जांच कर रही है।

वैज्ञानिक शोध के बाद तीनों विभाग छह महीने में सिंचाई विभाग को रिपोर्ट सौंपेंगे, लेकिन शोधकर्ताओं को पता चला कि झील में मरी मछलियों को जल्द नहीं निकाला जा रहा है जबकि उम्र पूरी कर तमाम मछलियां झील में ही मर, सड़ रहीं हैं।

झील में मछलियों का मरना भी प्रदूषण का प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस विषय को भी शोधकर्ताओं ने अपने शोध में शामिल किया है।
 
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पर्यटक मछलियों को अक्सर चारा डाल देते हैं...

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नैनी झील - फोटो : अमर उजाला
पर्यटकों की ओर से डाला जाने वाला चारा भी प्रदूषण माना जा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि काई खाकर झील की साफ करना मछलियों का कार्य है लेकिन यहां आने वाले पर्यटक मछलियों को अक्सर चारा डाल देते हैं।

पेट चारे से ही भर जाता है तो वह काई नहीं खाती। इससे भी प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं नगर पालिका ईओ रोहिताश शर्मा ने बताया कि झील में रोजाना 10 से अधिक मछलियां मर रहीं हैं।

इन्हें निकालने के लिए नगर पालिका की एक टीम लगी है।

 
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शोधकर्ता यह नमूने ले रहे 

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तीनों शोध टीमों ने पानी, मिट्टी, काई आदि के नमूने जांच के लिए एकत्र किए हैं। सभी नमूनों की जांच रुड़की की लैब में कराने की बात कही जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ हो सकेगी।

पिछले साल जल स्तर शून्य हो गया था
पिछले साल 25 जनवरी को नैनी झील का जल स्तर शून्य हो जाने से प्रशासन, सरकार सभी चिंतित हो गए थे। उस समय शोधकर्ताओं ने कहा कि जल स्तर गिरने का मुख्य कारण जल संस्थान की ओर से बनाए जा रहे पानी के स्रोत हैं। इन स्रोतों भारी मात्रा में पेयजल प्रयोग होता है। उसके बाद जल संस्थान ने पेयजल की आपूर्ति कम कर दी है। सिंचाई विभाग ने झील का स्तर बृहस्पतिवार को 3.15 फुट मापा।

नैनी झील में हर दिन मर रहीं मछलियां चिंता का विषय हैं। इसको लेकर चर्चा चल रही है। मछलियों के मरने के असली कारणों की तलाश की जा रही है। ताकि समस्या का समाधान किया जा सके।
- मदन मोहन जोशी, सहायक अभियंता, सिंचाई विभाग
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