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Christmas Day 2023: कब और कैसे शुरू हुआ क्रिसमस ट्री सजाने का चलन? जानिए क्या है इसका महत्व
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: आशिकी पटेल
Updated Mon, 25 Dec 2023 12:34 AM IST
सार
Christmas Tree Importance and History: हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है। क्रिसमस के पर्व पर प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन प्रेम व सद्भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग केक काटकर क्रिसमस का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं।
Christmas Tree Importance and History: आज 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का पर्व मनाया जाएगा। क्रिसमस के पर्व पर प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन प्रेम व सद्भाव के साथ मनाया जाता है। क्रिसमस ईसाई धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, लेकिन समय के साथ इसे हर धर्म और वर्ग के लोग धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस दिन लोग केक काटकर क्रिसमस का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं। इस पर्व में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री। क्रिसमस के पर्व पर लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं। साथ ही इसे रंग-बिरंगी रोशनी और खिलौनों से सजाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस के पर्व पर क्रिसमस ट्री का इतना ज्यादा महत्व क्यों होता है? चलिए जानते हैं इसके बारे में रोचक कथा...
क्रिसमस ट्री का इतिहास
दरअसल क्रिसमस ट्री को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने इसकी शुरुआत की थी। मार्टिन लूथर 24 दिसंबर की शाम को एक बर्फीले जंगल से जा रहे थे, जहां उन्होंने एक सदाबहार के पेड़ को देखा। पेड़ की डालियां चांद की रोशनी से चमक रही थीं। इसके बाद मार्टिन लूथर ने अपने घर पर भी सदाबहार का पेड़ लगाया और इसे छोटे- छोटे कैंडल से सजाया। इसके बाद बाद उन्होंने जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में भी इस सदाबहार के पेड़ को सजाया और इस पेड़ को कैंडल की रोशनी से प्रकाशित किया। मान्यता है कि तभी से क्रिसमस ट्री लगाने की परंपरा शुरू हुई।
क्रिसमस ट्री से जुड़ी बच्चे की कुर्बानी की कहानी
क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक अन्य कहानी 722 ईसवी की है। कहा जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई। एक बार जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे। इस बात की जानकारी मिलते ही सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया। इसके बाद उसी ओक ट्री की जड़ के पास से एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया। लोग इस पेड़ को चमत्कारिक मानने लगे। सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि यह एक पवित्र दैवीय वृक्ष है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं। मान्यता है कि तब से लोग हर साल प्रभु यीशु के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे।
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