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कोराना इफेक्ट:शासन अनुमति दे तो भी इस बार नहीं होगी मेलों की बहार; आयोजन समितियां बोलीं- लोगों की सुरक्षा जरूरी

भोपाल4 वर्ष पहले
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इस बार नहीं होगी मेलों की ऐसी रौनक।  (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar
इस बार नहीं होगी मेलों की ऐसी रौनक। (फाइल फोटो)
  • लाखों लोगों के बीच में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव नहीं
  • अक्टूबर से दिसंबर के बीच दुर्गोत्सव व उसके बाद मेलों की धूम रहती है

पिछले 32 साल से हो रहे भोपाल उत्सव मेले का आयोजन इस साल नहीं होगा। यदि शासन अनुमति दे भी दे तब भी आयोजन समिति इस साल मेले का आयोजन करने के पक्ष में नहीं है। यही स्थिति 5 साल से भेल में आयोजित होने वाले भोजपाल उत्सव मेले की है। अक्टूबर से दिसंबर के बीच दुर्गोत्सव और उसके बाद इन दो मेलों की धूम रहती है, लेकिन कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग की बाध्यता को देखते हुए मेलों के आयोजन की संभावना खत्म हो गई है। मार्च में चैती चांद के अवसर पर होने वाला सिंधी मेला भी इस बार नहीं लग सका।

15-20 लाख लोग करते हैं भोपाल उत्सव मेले में खरीदारी
भोपाल उत्सव मेला समिति के महासचिव संतोष अग्रवाल ने बताया कि मेले में हर साल 450 से अधिक दुकानें लगती हैं। झूलों की संख्या जोड़ लें तो यह संख्या 550 तक जाती है। हर साल 15 से 20 लाख लोग यहां खरीदारी करते हैं। मप्र के साथ उप्र, गुजरात, पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों से भी व्यापारी मेले में आते हैं। पिछले साल स्थान बदल जाने से खरीददारी करने वालों की संख्या 5 लाख तक सिमट गई थी। इस बार कोरोना के कारण मेला संभव नहीं है। वैसे समिति कोरोना से बचाव और जागरूकता के संबंध में मेले जैसा आयोजन करने पर विचार कर रही है।

सुरक्षा के लिए मेला नहीं लगाना ही बेहतर
पांच साल से भेल दशहरा मैदान पर भोजपाल उत्सव मेला का आयोजन हो रहा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि करीब 400 दुकानें मेले में लगती हैं और 8 से 10 लाख लोग मेले में आते हैं। इतनी बड़ी भीड़ के बीच सोशल डिस्टेंसिंग आदि का ध्यान रखना मुश्किल है। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए मेला नहीं लगाना ही बेहतर है।

सिंधी मेला.. चैतीचांद पर होता था आयोजन, इस बार नहीं हुआ
हर साल चैतीचांद पर लालघाटी के समीप सुंदरवन गार्डन में आयोजित होने वाला सिंधी मेला भी इस बार नहीं लगा। आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मप्र भाजपा के महासचिव भगवानदास सबनानी ने बताया कि सिंधी मेला दो दिन लगता था। नवरात्रि पर भी चार दिन के लिए गरबा के साथ मेले का आयोजन करते थे, लेकिन इस बार वह भी नहीं होगा। पिछले साल स्लाटर हाउस के समीप एक और मेले का आयोजन हुआ था। पहली बार आयोजित यह मेला भी इस बार नहीं लगेगा।

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