जोशीमठ के बाद उत्तराखंड के एक और शहर पर खतरा:धंस रहा नैनीताल, 10 हजार घर खतरे की जद में; 250 को खाली करा रहे

नैनीताल7 महीने पहलेलेखक: मनमीत
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फोटो नैनीताल के बलिया नाले के पास के एरिया की है। यहां 13 साल पहले लैंडस्लाइड की शुरुआत हुई थी। इसके बाद से लगातार यहां जमीन धंस रही है। - Dainik Bhaskar
फोटो नैनीताल के बलिया नाले के पास के एरिया की है। यहां 13 साल पहले लैंडस्लाइड की शुरुआत हुई थी। इसके बाद से लगातार यहां जमीन धंस रही है।

खूबसूरत पहाड़ी शहर नैनीताल की जमीन धंसने लगी है। शनिवार को यहां आल्मा पहाड़ी दरकने से 4 घर जमींदोज हो गए। इस घटना के बाद नैनीताल प्रशासन हरकत में आया। रविवार को उसने आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया।

नैनीताल विकास प्राधिकरण ने इन घरों पर लाल निशान भी लगा दिए हैं। इन घरों को तीन दिन में खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। आल्मा सबसे संवेदनशील पहाड़ी है। यहां बसे 10 हजार परिवारों पर खतरा बढ़ रहा है।

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के मुताबीक, नैनीताल की भौगोलिक संरचना अन्य पहाड़ी शहरों से अलग हैं। इसके बीचों-बीच से गुजरने वाले नैनीताल फॉल्ट के साथ ही कुरिया फॉल्ट, पाइंस फाल्ट, एसडेल फाल्ट, सीपी हॉलो फाल्ट समेत अन्य छोट-छोटे फाल्ट्स शहर को बेहद संवेदनशील बनाते हैं। इन फॉल्ट में भौगोलिक हलचल बढ़ रही है, जिससे पहाड़ियां कमजोर हो रही हैं। भविष्य में यहां जोशीमठ से भी बड़ी आपदा का खतरा है।

रविवार को नैनीताल प्रशासन आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया।
रविवार को नैनीताल प्रशासन आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया।

33 साल से इस पहाड़ी पर अवैध निर्माण
नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण का कहना है कि पहाड़ी पर 1989 से 2022 तक बहुत ज्यादा अवैध निर्माण हुए। विभाग के अधिकारी पंकज उपाध्याय ने कहा कि अब हम सख्ती कर रहे हैं। जो लोग घर खाली नहीं करेंगे, वहां ताले डाल दिए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ​था- हिमालय पर ज्यादा लोड
अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि हिमालय क्षेत्र में जनसंख्या का दबाव बढ़ गया है। इसलिए इसकी क्षमता के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समि​ति बनाएं। पिछले महीने हिमाचल में बारिश से शिमला, कुल्लू में भारी भूस्खलन हुआ था। अध्ययन में कहा गया था कि 1875 में शिमला को सिर्फ 16 हजार लोगों के हिसाब से डिजाइन किया गया था। आज 1.70 लाख लोग रह रहे हैं।

नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण का कहना है कि पहाड़ी पर 1989 से 2022 तक बहुत ज्यादा अवैध निर्माण हुए।
नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण का कहना है कि पहाड़ी पर 1989 से 2022 तक बहुत ज्यादा अवैध निर्माण हुए।

1880 में आल्मा पर भूस्खलन में मारे गए थे 151 लोग
अंग्रेजी शासन के समय सन 1880 में इसी पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। इसमें 43 अंग्रेज अधिकारी व बाकी स्थानीय लोग शामिल थे। हादसे के बाद से अंग्रेजों ने पहाड़ी पर निर्माण बैन कर दिया था। आज इसी पहाड़ी पर करीब 10 हजार की आबादी बस चुकी है। आल्मा पहाड़ी के जिस इलाके में भूस्खलन हुआ है, वह पहले से असुरक्षित है।

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बीएस कोटलिया का कहना है कि नैनी झील के बीचों बीच फॉल्ट लाइन गुजरती है। समय के साथ नैनीताल की संवेदशील पहाड़ियों पर निर्माण अधिक हो गया है। इससे भूस्खलन का खतरा है। कदम ना उठाए गए गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
20 साल में यहां बहुत ज्यादा निर्माण हुए
प्रो. पंत बताते हैं कि आल्मा पहाड़ी इसलिए ज्यादा संवेदनशील है, क्योंकि ये नैनीझील ऊपर बांई ओर सीधी खड़ी है। बीते 20 साल में इस पहाड़ी पर बेतहाशा निर्माण हुए हैं। जबकि ये पहाड़ी नीचे से भुरभुरी है। कई बार वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यहां निर्माण आज भी जारी है।

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