जानें कौन थे नैनीताल की खोज करने वाले पीटर बैरन, 178 साल पहले ऐसे हुआ था इस शहर का सौदा

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Published : Nov 19, 2019, 7:17 AM IST

ऐसे बसाया गया था नैनीताल शहर. ()

18 नवंबर को नैनीताल का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया. लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन कर हवन कर नैनीताल शहर की खुशहाली की कामना की. इस कार्यक्रम में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

नैनीताल: समुद्र तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित नैनी झील नैनीताल शहर का प्रमुख आकर्षण है. साल 1841 में ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की थी. सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 18 नवंबर को 178 साल पूरे कर लिए हैं.

सरोव नगरी नैनीताल का 179वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. जहां लोगों ने हवन कर नैनीताल शहर की खुशहाली की कामना की, वहीं, बच्चों के साथ बड़ों ने भी जमकर केक खाया. इस कार्यक्रम में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

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नैनीताल का इतिहास काफी रोचक रहा है. 18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए.

नैनीताल की सैर कर पीटर बैरन ने मन ही मन यहां एक शहर बसाने का फैसला कर लिया था. लेकिन, दानसिंह थोकदार ने अचानक ही अपना फैसला बदल दिया और उन्होंने इस इलाके को बेचने से मना कर दिया. जब थोकदार ने इस इलाके को बेचने से मना किया तो अगले दिन बैरन उन्हें अपने साथ नाव में बैठाकर नैनी झील की सैर कराने निकल पड़े.

नैनीझील के बीचों-बीच पहुंचने के बाद पीटर बैरन ने थोकदार के साथ एक चाल चली. उन्होंने थोकदार को डराते हुए कहा कि इस क्षेत्र को खरीदने के लिए मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हूं और अगर तुमने अपना इरादा नहीं बदला तो मैं तुम्हें इसी झील में डूबा दूंगा.

पीटर बैरन ने अपनी किताब "नैनीताल की खोज" में लिखा कि डूबने के डर से दानसिंह ने स्टांप पेपर पर तुंरत दस्तखत कर दिए और इसके बाद यहां पर कल्पनाओं का शहर नैनीताल बसाया गया.

नैनीझील के अलावा नैनीताल अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए भी खास पहचान रखता है. नैनीताल का टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चायना पीक जैसे दर्शनीय स्थल लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

Intro:यशपाल आर्य की बाईट मेल में है।

Summry

नैनीताल में धूमधाम के साथ मनाया गया सरोवर नगरी नैनीताल का 178 वा जन्मदिन, नैनीताल के जन्मदिन पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य रहे मुख्य अतिथि।

Intro

नैनीताल देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सैर सपाटे के लिए मशहूर है इसके बारे में कुछ भी कहना मानो सूरज को रोशनी दिखाना है,
ये बहुत कम ही लोगो को पता है कि आज सरोवर नगरी नैनीताल का जन्मदिन है, नैनीताल आज पूरे 178 साल का हो चुका है,इन 178 सालों में सरोवर नगरी नैनीताल ने तमाम पड़ाव पार किए जो इस नगर के लिए खट्टे मीठे रहे।


Body:सरोव नगरी नैनीताल का आज जन्मदिन है, नैनीताल आज 178 साल पूरे कर लिए हैं आज ही के दिन 1841 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की थी, समुद्र तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित नैनी झील इस शहर का प्रमुख आकर्षण है, यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से पर्यटक आकर यहां का लुफ्त उठाते हैं, इसके अलावा नैनीताल नगर के अच्छे स्कूलों के लिए देशभर में अपनी खास पहचान रखता है, नैनीताल का टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चायना पिक कई दर्शनीय स्थल है, इसके अलावा दर्जनों ऐतिहासिक इमारतें की याद दिलाती है लेकिन कुछ सालों से आज के दिन को नैनीताल के जन्मदिन के रूप में मनाया जा रहा है


Conclusion:नैनीताल की खोज 1840 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने की थी,
लेकिन नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था,
पीटर बैरन इस इलाके के थोकदार से बातचीत की थी कि वो इस इलाके को उन्हें बेच दें पहले तो ठोकदार तैयार हो गए परंतु बाद में उन्होंने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया, बैरन इस अंचल से इतने प्रभावित हुए थे कि वह हर हाल में नैनीताल के सारे इलाके को अपने कब्जे में कर एक सुंदर नगर बसाने की योजना बना चुके थे जब थोकदार से इस इलाके को बेचने से मना करें तो अगले दिन बैरन अपने साथ नाव में बिठाकर नैनी झील में घुमाने के लिए ले गए और झील के बीचो-बीच ले जाकर दानसिंह से कहा कि तुम इस सारे क्षेत्र को बेचने के लिए जितना रुपया चाहे ले लो, परंतु यदि तुमने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया तो मैं तुम्हें इसी झील में डूबा दूंगा।
अंग्रेज व्यापारी पीटर बेरन अपनी लिखित किताब नैनीताल की खोज में लिखा हैं कि डूबने के भय से दानसिंह ने स्टांप पेपर में दस्तखत कर दिए और इसके बाद से पीटर बैलून की कल्पना का शहर नैनीताल बस गया।

पिटर बैरन ने 1841 में नैनीताल की खोज की जिसके बाद यहां बसासत होनी शुरू हुई लेकिन 18 सितंबर 1880 में आए विनाशकारी भूस्खलन ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया, इस भूस्खलन में 151 लोग जमींदोज हो गए इस भूस्खलन के मलबे से झील का काफी बड़ा हिस्सा पूरी तरह से ढक गया जिसके बाद नैनीताल उत्तरी छोर पर मैदान का निर्माण हुआ, जिसमें आज विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं होती हैं।
1880 के विनाशकारी भूकंप के बाद अंग्रेजों ने इस शहर को दोबारा सहेजने की कवायद की जिसके लिए यहां की कमजोर पहाड़ियों को भूस्खलन रोकने के लिए 64 बड़े नालों का निर्माण करवाया जिनके लंबाई 1 लाख 6 हाजर 900 फिट है जिस वजह से आज भी नैनीताल का अस्तित्व कायम है।

बाईट- यशपाल आर्य, परिवहन मंत्री
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