आखिर क्या है सनातन धर्म? कहां से हुई इसकी शुरुआत और क्या इसका अर्थ?

  • Shruti Dixit

हाल ही में सनातन धर्म को लेकर धार्मिक, सामाजिक, न्यायायिक और राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। पर क्या वाकई हम यह जानते हैं कि इसका अर्थ क्या है और हिंदू धर्म से यह कैसे जुड़ा हुआ है?

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“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।”

महाभारत का यह श्लोक सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। महाभारत टीवी सीरियल से लेकर घरों में लगाए जाने वाले पोस्टर्स तक, महाभारत की गाथा का वर्णन करते हैं। कृष्ण ने महाभारत के इस श्लोक में कहा है, “जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, विनाश का कार्य होता है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूं और इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूं।” इसका अर्थ तो यही है कि धर्म का नाश होने पर भगवान स्वयं ही पृथ्वी पर आते हैं। पर धर्म की परिभाषा क्या है और इसका नाश हो रहा है यह कैसे तय होगा?

धर्म के बारे में ना जाने कितनी बातें कहीं और सुनी गई हैं, लेकिन फिर भी धर्म का कोई एक मतलब शायद ही कोई निकाल पाए। आजकल सनातन धर्म को लेकर एक नई डिबेट शुरू हो गई है। आखिर क्या है यह सनातन धर्म? क्या यह हिंदू धर्म का दूसरा नाम है? या फिर सनातन धर्म से ही हिंदू धर्म की उत्पत्ति हुई है? आज हम इसी बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं।

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पुराणों के हिसाब से क्या है धर्म?

अगर हम गीता, रामायण और महाभारत को देखें, तो अलग-अलग जगहों पर धर्म की कोई ना कोई परिभाषा देखने को मिलती है। 

धृतराष्ट्र उवाच

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय

(पहला अध्याय, श्लोक 1)

अर्थ - ।।1.1।। धृतराष्ट्र बोले , हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से इकट्ठे हुए मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने भी क्या किया? 

महाभारत के इस श्लोक में पहले ही धृतराष्ट्र ने युद्धभूमि को धर्म भूमि बताया है। यानी धृतराष्ट्र मानते हैं कि महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध का जिसका फैसला कर्मभूमि में होना था। यही कारण है कि युद्धभूमि को धर्म भूमि कहा गया है। 

अगर आपने सुप्रीम कोर्ट में लिखे हुए संस्कृत श्लोक को देखा है, तो वहां लिखा है ‘यतो धर्म: ततो जय: (जहां धर्म है वहां जीत है)’। यह श्लोक महाभारत में कुछ 11 बार आता है और अपने धर्म का पालन करने को कहता है। 

हमने महाभारत के कई श्लोकों में देखा है कि श्री कृष्ण स्वयं ही कहते हैं कि कर्म ही धर्म है-

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।

अर्थ - महाभारत के दूसरे अध्याय के 47वें श्लोक में लिखा है कि कृष्ण अर्जुन को सिर्फ कर्म करने को कहते हैं क्योंकि फल देने वाले ईश्वर खुद हैं। ऐसे में अगर हम पुराणों के बारे में देखें, तो यही पाएंगे कि कर्म को ही वहां धर्म बताया गया है। 

क्या है सनातन धर्म का अर्थ? 

'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म एक संस्कृत शब्द है जिसे अब हिंदी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

धर्म की बात करें, तो यह शब्द संस्कृत की 'धृ' धातु से बना है। इसका मतलब है धारण करना या पालन करना। अब इस शाब्दिक अर्थ को देखा जाए, तो सामने आएगा कि 'धारण करने योग्य आचरण ही धर्म है।' 

अगर सनातन और धर्म दोनों शब्दों को जोड़ा जाए, तो अर्थ निकलेगा, सदा बना रहने वाला आचरण ही धर्म है।

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धर्म को कर्म से सिर्फ गीता में ही नहीं जोड़ा गया है। iskconeducationalservices द्वारा भी धर्म को इसी तरह से परिभाषित किया गया है। सिर्फ व्यक्ति ही नहीं, वस्तु का भी धर्म होता है। उदाहरण के तौर पर शक्कर का धर्म मीठा होना है। 

कहां से हुई सनातन शब्द की शुरुआत?

जब बात धर्म की हो, तो ग्रंथों के मुताबिक सबसे पहला उदाहरण गीता में ही मिलता है। सनातन शब्द का प्रयोग भी अर्जुन द्वारा किया गया था। 

कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।

धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।।1.40।। 

अर्थ - गीता के पहले अध्याय के 40वें श्लोक में अर्जुन ने सनातन शब्द का प्रयोग किया है। अर्जुन ने कहा है कि जब कुल में दोष लगता है, तो कुल के धर्म का भी नाश हो जाता है। गीता में कई बार सनातन शब्द सामने आया है जहां उसका अर्थ सदा चलने वाला ही बताया है। कृष्णा ने भी गीता में ही कहा है कि आत्मा सनातन है। धर्म ही कर्म है। 

1994 में आई किताब 'Hindus: Their Religious Beliefs and Practices,' में जूलियस जे. लाइपनर ने भी इसी रिफरेंस को सामने किया है। उन्होंने भी कहा कि सनातन शब्द का प्रयोग सबसे पहले अर्जुन द्वारा किया गया।

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माइथोलॉजिस्ट और राइटर देवदत्त पटनायक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर कहा है, "सनातन धर्म का सबसे पहला उपयोग भगवत गीता में मिलता है और यहां इसे आत्मा, सदा अमर रहना और दोबारा जन्म लेना जैसे शब्दों से समझाया गया है। इसलिए सनातन धर्म कई धर्मों के बारे में बताता है जो आत्मा और पुनर्जन्म में यकीन करते हैं।"

गीता और महाभारत के अलावा, किसी वेद या पुराण में सनातन धर्म का जिक्र नहीं होता है। 

अगर हम मौजूदा समय की बात करें, तो सनातन धर्म का जिक्र 19वीं सदी से ज्यादा बढ़ा है। यहां सनातन धर्म ने लोकप्रियता भी हासिल की और इसे हिंदू धर्म से जोड़कर देखा गया। हिंदू धर्म को सनातन धर्म की एक छवि माना गया। 

सनातन धर्म को लेकर धार्मिक लीडर्स की राय

अगर आप अलग-अलग धार्मिक लीडर्स की बात करें, तो सनातन धर्म की कई परिभाषाएं बाहर निकलकर आएंगी। 

सनातन ईश्वर की सेवा करना ही धर्म है- गौरंग दास प्रभुजी

हरजिंदगी से इस विषय में बात करते हुए संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) पुरस्कार विजेता इको-विलेज समुदाय , गोवर्धन इकोविलेज के निदेशक और इस्कॉन चौपाटी मंदिर के सह-अध्यक्ष गौरंग दास प्रभुजी ने अपने विचार बताए।

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गौरंग दास प्रभुजी के अनुसार, "गीता मानती है कि वैदिक साहित्य का पांचवा अध्याय ईश्वर है और वही सनातन है यानी सदैव रहने वाला। इसी के साथ, आत्मा को भी सनातन माना गया है। अब ईश्वर और जीव दोनों ही सनातन हैं, तो सनातन आत्मा का सनातन ईश्वर की सेवा करना ही सनातन धर्म कहलाएगा।"

सनातन धर्म नियम और जीवन जीने का तरीका है - सदगुरु

ईशा फाउंडेशन के हेड और जाने-माने धार्मिक और आध्यात्मिक लीडर जग्गी वासुदेव उर्फ सदगुरु ने 2 मई, 2013 को पब्लिश किए अपने एक वीडियो में कहा है, "सनातन का अर्थ है सदा चलने वाला और धर्म का अर्थ है नियम। यहां लोग धर्म को रिलीजन से जोड़कर देखते हैं, लेकिन असल मायने में धर्म का अर्थ आपके कर्म से ही है।" सदगुरु ने 5 अक्टूबर, 2021 को पब्लिश अपने ही फआउंडेशन के एक आर्टिकल में भी लिखा था कि धर्म का मतलब जानना है तो इसका कोई रेडी मेड उत्तर नहीं हो सकता। यह एक खोज है जो लोगों को खुद के अंदर करनी होती है। आचरण को ही धर्म माना जा सकता है।

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हिंदू धर्म है समय के साथ चलने वाले सिद्धांतों का लेखा-जोखा- श्री श्री रविशंकर

आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर आध्यात्मिक एवं मानवतावादी धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर ने 9 मई, 2011 को पब्लिश किए गए अपने ही फाउंडेशन के एक आर्टिकल में लिखा था, "हिंदू सिद्धांतों ने हमेशा गुरुओं और ऋषियों को मान दिया है। यहां ऐसे ज्ञान को सम्मान दिया जाता है जिसका आदि या अंत नहीं है और समय-समय पर इसकी समझ और परिभाषा बदलना ही इस दुनिया की खासियत है।"

क्या सनातन धर्म को गलत समझा जाता है?

गौरंग दास प्रभुजी के अनुसार, "सनातन धर्म की परंपरा मूल रूप से प्रकृति और योग्यता के आधार पर कार्य करना थी। कर्म को ही वर्णों में बांटा गया था जिसे वर्णाश्रम कहा गया था, लेकिन इतिहास के कई कालखंडों में इसकी परिभाषा बदली और मौजूदा समय में यह जाति और छू-अछूत के आधार पर भेदभाव के रूप में गलत तरह से लागू किया गया है।"

गौरंग दास प्रभुजी के अनुसार, ईश्वर की सेवा और अपने कर्म का पालन ही धर्म की परिभाषा है।

क्या सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़ा है सनातन धर्म?

मौजूदा हालात को देखें, तो राजनीतिक से लेकर सामाजिक और धर्मिक कार्यों में भी सनातन धर्म हमेशा हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है, लेकिन देवदत्त पटनायक के 3 सितंबर, 2023 को पब्लिश वीडियो के अनुसार ऐसा नहीं है। उनके अनुसार, हिंदू धर्म के अलावा, ऐसे धर्म जहां पुनर्जन्म का जिक्र होता है वह सनातन धर्म से जुड़े माने जा सकते हैं। ऐसे में जैन और बौद्ध धर्म भी इससे जुड़े माने जा सकते हैं। पटनायक के अनुसार, ऐसे धर्म जहां एक ही जिंदगी का जिक्र होता है वह सनातन धर्म से जुड़े नहीं हैं जैसे इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म। 

गौरंग दास प्रभुजी इस विषय में हमसे बात करते हुए कहा, " हिंदू धर्म सनातन धर्म के उन तत्वों में से एक है जो आत्मा को इस जीवन में (अर्थ और काम) और मृत्यु के बाद (स्वर्ग या मोक्ष) अनुभवों की कड़ी देता है। हिंदू धर्म आमतौर पर कई मान्यताओं और रीति-रिवाजों का सार है। इसमें वैष्णव, शाक्त, सिख, जैन भी आ जाते हैं।" 

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सनातन धर्म की मॉर्डन परिभाषा और भारत में विकास

सनातन धर्म के बारे में अभी तक हमने जितना भी जाना और समझा है उसके मुताबिक धार्म की परिभाषा कर्म और नियम से होकर गुजरती है, लेकिन यह नियम कौन से हैं? इन्हें कौन निर्धारित करता है? 2001 में इतिहासकार जॉन जावोस द्वारा लिखे गए एक निबंध 'Defending Hindu Tradition: Sanatana Dharma as a symbol of orthodoxy in colonial India' में यह बताया है कि सनातन धर्म की लोकप्रियता 19वीं सदी से बढ़ी। उस दौर में जब कैथोलिक मिशनरीज द्वारा समाझ सुधार के कई आंदोलन चलाए जा रहे थे, उस वक्त धर्मांतरण को रोकने के लिए कट्टर हिंदूवादी सोच ने जन्म लिया। उस दौर में आर्य समाज और ब्रह्म समाज जैसे संगठनों की सोच भी सनातन धर्मियों की सोच से मेल नहीं खाती थी। 

अगर हम आर्य समाज को ही ले लें, तो पंडित दयानंद सरस्वती और आर्य समाज के सिद्धांतों के खिलाफ पंजाब से पंडित श्रद्धा राम खड़े हुए थे जिन्होंने सबसे पहले इसका विरोध किया। ऐसे ही 1890 के दशक में पंडित दीन दयाल शर्मा ने मूर्ति पूजा और हिंदू सिद्धांतों की बात की और 'सनातन धर्म सभा' का गठन किया। 

University of Berkeley के पीएचडी स्कॉलर सौरभ घोष ने हरजिंदगी की रूपशा भद्रा से इस बारे में बात की। उनका कहना है, "सनातन धर्म का जन्म उपनिवेशवाद से टक्कर लेने के लिए हुआ है। इसकी शुरुआत तब से देखी जाती है जब कोलोनियल पीरियड में सर्वे शुरू हुए और लोगों से सवाल पूछा गया, तुम कौन हो?"

माइथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक ने भी 17 सितंबर 2023 को ट्वीट कर लिखा, "19वीं सदी में कई हिंदू रिफॉर्म मूवमेंट्स महाराष्ट्र में चल रहे थे जिनमें पुरानी प्रथाओं जैसे बाल विवाद, जातिवाद, छूत-अछूत को हटाने की बात की जा रही थी। इसके साथ ही, विधवाओं की शादी, शिक्षा आदि को लेकर लोग जागरुक हो रहे थे। उस दौर में प्राथर्ना समाज (ब्राह्मणों का एक संगठन) और सत्यशोधक समाज (ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित) शुरू हुआ।"

इन सभी प्रथाओं से दूर जाने के लिए सनातन धर्म या सनातनी हिंदुओं का जन्म हुआ। देवदत्त पटनायक ने ही ऊपर बताए गए वीडियो में कहा है, "कट्टरपंथी हिंदुओं ने खुद को सनातनी हिंदू कहना शुरू कर दिया जो प्राचीन प्रथाओं को हटाना नहीं चाहते थे जैसे पितृसत्ता और जातिवाद।"

जावोस ने अपने आर्टिकल में पंजाब सेंसर रिपोर्ट 1891 का जिक्र भी किया जिसमें सेंसर सुप्रीटेंडेंट ने यह देखा था कि कट्टरपंथी हिंदुओं ने खुद को सनातन धर्मी कहा था। जावोस ने अपने लेख में साफ किया है कि रिफॉर्म और मूवमेंट्स के खिलाफ जो भी लोग थे, वो खुद को सनातन धर्मी मानते थे। 

सौरभ घोष के मुताबिक, "इस्लाम या ईसाई धर्म में एक ही धार्मिक किताब या लेख का उपयोग होता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है। हिंदू धर्म की स्थापना और इसके उद्देश्यों के बारे में भी किसी एक धर्म ग्रंथ में नहीं लिखा है। ऐसे में सनातन धर्म एक ऐसा शब्द बन गया जो हिंदू धर्म की ऊंची जाति के विचारों को देखता है और इसे नए तरीके से पेश करता है।"

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क्या है सनातन धर्म की सामाजिक परिभाषा? 

सनातन धर्म की सोच और समृद्धि को हम सामाजिक परिभाषा में नहीं बांध सकते हैं। धर्म के कई स्वरूप हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप देखें कि भारत के कई राज्यों में स्थानीय देवताओं की पूजा होती है जिन्हें पूरे भारत में नहीं जाना जाता। इस तरह से देखें, तो धर्म ही नहीं, बल्कि ईश्वर की परिभाषा स्थान और लोगों के हिसाब से ही बदल जाती है। 

सौरभ घोष का इसकी परिभाषा को लेकर कहना है, "यह परिभाषा लिखी-पढ़ी गई है, वैदिक मानदंडों का पालन करना है और यज्ञ जैसे अनुष्ठानों को प्राथमिकता भी देता है। इसके द्वारा एक खास तरह की हिंदू पहचान को परिभाषित किया जा सकता है और हिंदू आकांक्षाओं को देखा जा सकता है। इसे रूढ़िवादी हिंदुओं द्वारा धर्म को परिभाषित करने का प्रयास माना जा सकता है।"

Definition

कुछ दिनों पहले मेरे एक करीबी ने बातों-बातों में कह दिया, "हम तो कट्टर सनातनी हैं और हम विदेशी रीति-रिवाजों को नहीं मानते।" यह कहने वाला इंसान एमएनसी में कार्यरत है और एमबीए कर चुका है। सनातन धर्म की परिभाषा कम से कम सोसाइटी के हिसाब से तो हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है। 

क्या सनातन धर्म को वैदिक धर्म कहना उचित है?

सनातन धर्म को अधिकतर लोग वैदिक या वेदों से निकला हुआ धर्म भी मानते हैं, लेकिन देवदत्त पटनायक के वीडियो के अनुसार, सनातन धर्म का जिक्र वेदों में कहीं नहीं है। हां, यह माना जा सकता है कि वेदों से लिए हुए कुछ सिद्धांतों को सनातन धर्म में मिलाया गया है। हालांकि, अभी तक की बातचीत में हम इस सिद्धांत को स्थापित कर चुके हैं कि सनातन धर्म के सिद्धांत और इसकी परिभाषा अलग-अलग समय काल में बदलती रही है। शायद यही कारण हो कि वेदों में इसका जिक्र ना होने के बाद भी सनातन धर्म को वैदिक धर्म कहा जाता है।

क्या है हिंदू धर्म और कौन हैं हिंदू?

ऊपर जिस लेख का जिक्र हमने किया है सदगुरु ने उसी में लिखा है, "कुछ हजार साल पहले हिंदू जैसी कोई चीज नहीं थी। सनातन धर्म का प्रचार हिंदू धर्म के साथ नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह हिंदू धर्म नहीं है। हिंदू शब्द इसकी भौगोलिक पहचान के चलते सामने आया। जो भूमि हिमालय और हिंद महासागर के बीच में पड़ती थी, उसे हिन्दू कहा गया।" ऐसे में यह माना जा सकता है कि एक तय भौगोलिक हिस्से में रहने वाले लोग हिंदू और यहां की मान्यताएं हिंदू धर्म बन गया। इस हिसाब से सनातन की परिभाषा के अनुसार अपने नियमों और सिद्धातों का पालन कर एक निश्चित भौगोलिक जगह पर रहने वाले लोग हिंदू कहलाएंगे। 

राजनीति और सनातन धर्म

पिछले कुछ दिनों में सनातन धर्म को लेकर जितनी राजनीति हुई है उतनी शायद पिछले कुछ महीनों में मिलाकर ना हुई हो। सनातन धर्म की बात करते हुए डीएमके लीडर उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारीयों की तरह है। इस मामले में उदयनिधि के खिलाफ FIR भी दर्ज कर दी गई है। 

इसके साथ ही कर्नाटक के मिनिस्टर प्रियंक खड़गे ने भी सनातनक धर्म पर टिप्पणी की। इसके बाद से ही वाद-विवाद का सिलसिला शुरू हो गया है। इन दोनों मिनिस्टर्स के खिलाफ सिर्फ FIR नहीं हुई है, बल्कि पक्ष और विपक्ष की लड़ाई सनातन धर्म पर शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे पांडवों और कौरवों की लड़ाई से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मध्यप्रदेश में की एक रैली में भी कहा कि विपक्षी दल सनातन धर्म को बर्बाद करना चाहते हैं। 

कुल मिलाकर सनातन धर्म पर जोरों से राजनीति शुरू हो गई है। राजनेताओं के अलग-अलग भाषणों को देखें, तो यहां सनातन धर्म को हिंदू धर्म माना गया है। हालांकि, यहां भी 19वीं सदी की परिभाषा देखने को मिलती है और लोग खुद को कट्टर सनातनी कहने में हिचकते नहीं हैं। 

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क्या मौजूदा समय में बदल गया है सनातन धर्म का स्वरूप?

यह मामला अब कोर्ट तक जा पहुंचा है और मौजूदा कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में बात करते हुए कोर्ट ने कहा है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का मतलब यह नहीं कि नफरत फैलाई जाए। कोर्ट का यह स्टेटमेंट भी एक तरह से सही है। जिस तरह से सनातन धर्म को लेकर बात चल रही है, वहां यह कहना गलत नहीं होगा कि कट्टरता और राजनीतिक विरोध के चलते सनातन धर्म की परिभाषा अब एक नया मोड़ ले चुकी है। अब यह धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक शब्द बन गया है। यह मान्यताओं से ज्यादा एजेंडा बनता जा रहा है। 

आपकी इस मामले में क्या राय है? हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। 

Sources:

सनातन और हिन्दू धर्म में अंतर क्या है - Isha Foundation article, Publish Date: Oct 5, 2021

The Science Behind Sanatan Dharma | Sadhguru, Publish Date: May 2, 2013

Sanatana Dharma Core Concept and Value, Iskon Education Services

Tilak and the Rebirth of Sanatan Dharma in 19th century, Devdutt Pattanaik Tweet, Published on: Sep 17, 2023

What is Sanatan Dharma ?, Devdutt Pattanaik Video, Published on: Sep 3, 2023

sanatana dharma Britannica, Published on: Sep 7, 2023