सब्जियों की कीमत ने महंगाई दर में लाया जबरदस्त उछाल, 15 महीनों का टूट गया रिकॉर्ड

Retail inflation: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई महीने में 11.51 प्रतिशत रही जो जून में 4.55 प्रतिशत तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी.

Published: August 14, 2023 6:39 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Parinay Kumar

फाइल फोटो
फाइल फोटो

सब्जियों और खाने के अन्य सामानों के महंगा होने की वजह से खुदरा महंगाई दर (Retail inflation) में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. महंगाई दर अभी 15 महीनों के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 4.87 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल जुलाई में यह 6.71 प्रतिशत थी. इससे पहले, अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई महीने में 11.51 प्रतिशत रही जो जून में 4.55 प्रतिशत तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी. सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 37.43 प्रतिशत रही, जबकि अनाज और उसके उत्पादों के दाम में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

थोक मुद्रास्फीति में गिरावट

खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम में तेजी के बावजूद थोक मुद्रास्फीति में जुलाई में लगातार चौथे माह में गिरावट आई और यह शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही. हालांकि गिरावट की दर मासिक आधार पर कम हुई है. सब्जियों की कीमतों में 62.12 फीसदी की वृद्धि के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में जून में 4.12 प्रतिशत की गिरावट आई थी. पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी.

inflation, interest rates, taxes, production, consumer index

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ‘जुलाई, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई है.’ केयर एज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि अगर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती रहीं, तो आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति सकारात्मक दायरे में आ सकती है.

ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही, जो जून में शून्य से 12.63 प्रतिशत नीचे थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में मई में 2.51 प्रतिशत की गिरावट रही. जून में इसमें 2.71 प्रतिशत की गिरावट आई थी. बार्कलेज के ईएम एशिया (चीन को छोड़कर) आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट की धीमी गति करीब पूरी तरह से सब्जियों की कीमतों के कारण है जो वास्तव में बढ़ी हैं. सब्जियों के अलावा अनाज तथा दालों में वृद्धि देखी गई जहां मुद्रास्फीति क्रमशः 8.31 प्रतिशत और 9.59 प्रतिशत रही.

RBI ने रेपो रेट रखा था बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले सप्ताह लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, ‘मुद्रास्फीति को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ़ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव बने रहने तथा मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है.’ RBI ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है. जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है.

(इनपुट: एजेंसी)

Also Read:

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें Business Hindi की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.