Inflation History: आजादी के बाद कैसी रही महंगाई की चाल? 1947 से बाद कब मिली राहत और किस साल बनी मुसीबत
Inflation History महंगाई हमेशा से ही एक बड़ी मुसीबत रही है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। आज हम अपनी रिपोर्ट में आजादी के बाद से लेकर अब तक के महंगाई के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। महंगाई का ग्राफ पिछले एक साल से ऊपर बना हुआ है। खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल- डीजल सभी के दाम ऊपरी स्तरों पर बने हुए हैं। सरकार की ओर से महंगाई को कम करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिस कारण बीच-बीच में नरमी के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन इसका असर आम आदमी पर दिखाई नहीं दे रहा है। आइए जानते हैं कि आजादी के बाद भारत में महंगाई क्या हाल रहा है।
आजादी के शुरुआती दौर में महंगाई
1947 में आजादी के बाद 1950 तक भारत में औसत महंगाई की दर 2 प्रतिशत के आसपास थी। 1950 से 60 का दशक उतार-चढ़ाव भरा रहा। यह वह दौर जब भारत नया-नया आजाद हुआ था और सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास कर रही थी।
1960 के दशक में युद्ध के कारण बड़ी महंगाई
1962 में चीन और फिर 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ने का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा। इस कारण 1964 से 1967 तक औसत महंगाई दर 10 प्रतिशत के ऊपर रही। सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में बड़े स्तर पर सुधार किए जाने के कारण महंगाई दर दशक के अंत तक एक बार फिर काबू में आ गई।
1970 और 80 के दशक में महंगाई
कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण 1970 का दशक काफी उथल-पुथल भरा रहा। इस कारण 1973-74 के बीच महंगाई आजाद भारत में पहली बार 20 प्रतिशत के स्तर को पार गई थी। हालांकि, दशक के अंत तक एक बार भी 7 प्रतिशत के नीचे महंगाई दर आ गई थी। वहीं, 1980 में राजकोषीय घाटे में वृद्धि होने के कारण महंगाई दर ऊपरी स्तरों पर पहुंच गई थी।
1990 में महंगाई
1990 के दशक में भारत सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था को खोला गया और उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण जैसे अहम बदलाव लागू किए गए। इस कारण 1991 में महंगाई 13.9 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हालांकि, दशक के अंत तक धीरे-धीरे महंगाई नीचे आ गई।
2000 के बाद का दौर
2000 -06 के बीच महंगाई रफ्तार काफी सुस्त रही और 6 प्रतिशत के नीचे थी। 2008 की आर्थिक मंदी के कारण महंगाई में उछाल देखने को मिला और यह 8.35 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस बार भी महंगाई में उछाल का बड़ा कारण कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच था। इस कारण 2010 तक देश में महंगाई दर 11.99 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हालांकि, 2011 से गिरना शुरू हुई। 2017 तक 3.33 प्रतिशत के आंकड़े पर पहुंच गई थी।
कोरोन और रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी महंगाई
2020 में कोरोना और फिर 2021 में रूस -यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई की रफ्तार में फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली। अपूर्ति श्रृखंला प्रभावित होने के कारण 2020 में ये 6.6 प्रतिशत पहुंच गई थी। पिछले वित्त वर्ष में भी महंगाई 6 प्रतिशत के ऊपर रही थी और चालू वित्त वर्ष में महंगाई के 6 प्रतिशत के नीचे आने का अनुमान आरबीआई द्वारा जताया जा चुका है।