'दुर्ग के क्रांतिकारियों ने लगा दी थी जिला कचहरी में आग'
देश को लंबी जद्दोजहद के बाद आजादी मिली है। आजादी के आंदोलन में हर वर्ग के लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी।
By Nai Dunia News Network
Publish Date: Tue, 09 Aug 2022 12:00 AM (IST)
Updated Date: Tue, 09 Aug 2022 12:00 AM (IST)
दुर्ग। देश को लंबी जद्दोजहद के बाद आजादी मिली है। आजादी के आंदोलन में हर वर्ग के लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी। दुर्ग जिले का इतिहास भी आंदोलन से जुड़ा रहा है। दुर्ग में भी कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे।
जिन्होंने आजादी की अलख जगाए रखा और देश को आजादी दिलाने लोगों को आंदोलन से जोड़ने का काम करते रहे।इन्ही क्रांतिकारियों ने दुर्ग स्थित कचहरी में आग लगा दी थी।
देश को आजादी दिलाने भारत छोड़ों प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को पारित हुआ। इसके साथ ही 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन का शुरुआत संपूर्ण भारत में हुई। स्थानीय स्तर पर भी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने जिले के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आगे आए और इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लिया।
दुर्ग में रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल, रत्नाकर झा, गणेश प्रसाद सिंगरौल, नरसिंह प्रसाद अग्रवाल, जमुना प्रसाद कसार जैसे कई क्रांतिकारी नेता हुए जिन्होंने आजादी की लड़ाई स्वयं लड़ने के साथ ही आंदोलन से लोगों को जोड़े रखा।
1942 की अगस्त क्रांति में रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल ने दुर्ग जिला कचहरी में आग लगा दी थी। पुलिस ने रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल को संदेह के आधार पर गिरफ्तार भी किया था। परंतु सबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया। रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल ने जसवंत सिंह के साथ मिलकर नगर पालिका भवन में भी आग दी थी।
रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल के पुत्र लवकुश सिंगरौल बताते हैं कि उनके पिता रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल ने जब जिला कचहरी में आग लगाई थी उस समय उनकी उम्र काफी कम थी। देश को जब आजादी मिली तब उनके पिता की आयु मात्र 29 वर्ष थी।
अपने पिता रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल की यादों की साझा करते हुए उनके पुत्र लवकुश सिंगरौल ने बताया कि उनके पिता ने जिले में अगस्त क्रांति के दौरान उनके पिता के साथ कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जुड़े हुए थे जिन्होंने जिला कचहरी सहित कुछ और स्थानों पर आग लगाई थी।
- दुर्ग में रघुनंदन प्रसाद सिंगरौल के नेतृत्व में चलाया गया था अगस्त क्रांति का आंदोलन
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