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लखनऊ

जानिए, उत्तर प्रदेश के महोत्सव और मेलों के बारें में जिनमें दिखता पूरा भारत

इसके बाद दूसरे नंबर पर नौचंदी का मेला होता है, जो मेरठ में लगता है

लखनऊJan 02, 2020 / 10:24 am

Ruchi Sharma

जानिए, उत्तर प्रदेश के महोत्सव और मेलों के बारें में जिनमें दिखता पूरा भारत

जानिए, उत्तर प्रदेश के महोत्सव और मेलों के बारें में जिनमें दिखता पूरा भारत

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले मेले व महोत्सव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां हर क्षेत्रों में अलग-अलग महोत्सव मेले लगते है। उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले सभी मेलों में सबसे बड़ा मेला कुंभ का होता है, जो प्रयागराज में लगता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर नौचंदी का मेला होता है, जो मेरठ में लगता है। यह मेले पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध मेले और महोत्सव के बारे में..
नौचंदी मेला

नौचंदी मेला प्रतिवर्ष मेरठ में आयोजित किया जाता है। इस मेले में एक तरफ नवचंडी देवी का मंदिर है, तो दूसरी तरफ विश्व प्रसिद्ध संत सैयद सालार की दरगाह है। जिसके कारण इस मेले में हिंदू या मुस्लिम समान रूप से सौहार्दपूर्ण वातावरण में आनंद लेते हैं।

शाकुंभरी मेला
प्रदेश के सहारनपुर जिले में प्रतिवर्ष नवरात्रि में शकुंभरी देवी का मेला आयोजित किया जाता है।


कुंभ मेला
कुंभ का मेला प्रति 12 वर्ष में इलाहाबाद के संगम के तट पर आयोजित किया जाता है। यहां देश-विदेश से लाखों संख्या में श्रद्धालु जन विश्व के सबसे बड़े मेले में आते हैं और पवित्र पावन संगम में स्नान करके पुण्य कमाते हैं।

देवा शरीफ मेला
इस मेले का आयोजन हर साल बाराबंकी में प्रसिद्ध सूफी संत वारिस अली शाह की दरगाह पर किया जाता है, जिसे हिंदू व मुस्लिम भाई प्रेम व सदभावना पूर्वक मनाते हैं।

‘खिचड़ी मेला
ये मेला गोरखपुर के नाथ संप्रदाय से जुड़े बाबा गोरखनाथ मंदिर के परिसर में लगता है। यह मेला एक महीने से अधिक समय तक लगता है। ‘खिचड़ी मेला’ देखने के लिए गोरखपुर के अलावा बिहार, नेपाल से भी लोग आते हैं। मेले में आने वाला व्यक्ति या परिवार बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी और तिल के लड्डुओं का भोग लगाते हैं।
राम बारात

आगरा में एतिहासिक राम बारात धूमधाम से निकाली गई। प्रभु श्रीराम और उनके तीनों भाइयों के शृंगार कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। । शोभायात्रा में सबसे पहले दो ऊंटों पर सवार लोग नगाड़े बजाते चलते है।

सोरों मेला
कासगंज जिले के सोरों के मार्गशीर्ष मेला हर साल मनाया जाता है। हरि की पैड़ी में गंगा स्नान कर लोग मेला मार्गशीर्ष का लुत्फ लेते हैं। धार्मिक महत्व के इस मेले में बड़ी संख्या में आसपास के अतिरिक्त बाहरी राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं।
गोविन्द साहब

अंबेडकर नगर और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित गोविंद साहब धाम आस्था का केंद्र है। यहां हर साल एक माह का मेला लगता है और मान्यता है कि बाबा को गोविंद दशमी के दिन खिचड़ी चढ़ाने से हर मुराद पूरी हो जाती है। यहीं वजह है कि इस दिन यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते है।
कैलाश मेला

इस मेले का आयोजन हर साल सावन के तीसरे सोमवार को राज्य के आगरा जनपद में कैलाश तथा सिकंदरा नामक स्थान पर किया जाता है। इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु लोग भाग लेते हैं।

बटेश्वर मेला

बटेश्वर मेले का आयोजन आगरा जनपद के बटेश्वर नामक स्थान पर यमुना के किनारे किया जाता है। इस मेले का धार्मिक तथा व्यापारिक दोनों प्रकार का महत्व है। यहां व्यापारी लोग सामानों की खरीद फरोख्त भी करते हैं।
कजली मेला
उत्तर भारत का मशहूर ग्रामीण कजली मेला आज भी अपनी पहचान कायम रखता है। कीरत सागर के तटपर लगने वाले ऐतिहासिक मेले की धमक दूर-दूर तक है। इसलिए दूर दराज के दुकानदार एक सप्ताह पहले से ही यहां आकर अपना डेरा जमा लेते हैं। इससे उनकी कमाई हो जाती है।
रामायण मेले
भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय रामायण मेले की परिकल्पना समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने की थी।

नैमिषारण्य मेले

पौराणिक नैमिषारण्य क्षेत्र में होलिका दहन से पहले 84 कोसीय परिक्रमा शुरू होती है। इस परिक्रमा का अपना एक अलग ही पौराणिक महत्व है। इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। वह करीब एक माह तक परिक्रमा करते हैं। इस परिक्रमा मेले में 11 पड़ाव पड़ते हैं।
श्रावणी एवं जन्माष्टमी मेला

भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में श्री कृष्ण महोत्सव के अवसर पर प्रति वर्ष लाखों भक्त जनों द्वारा व्रत रखकर यह मेला आयोजन किया जाता है।


ताज महोत्सव
यहां महोत्सव हर साल आगरा में मनाया जाता है। ताज महोत्सव में भारतीय ललित कलाओं तथा मुगलों के समय की विभिन्न संस्कृतियों को प्रस्तुत किया जाता है। आगरा में हर साल फरवरी महीने में इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

कबीर महोत्सव

यह महोत्सव बस्ती जनपद के मगहर नामक स्थान पर आयोजित किया जाता है। संत कबीर दास जी के जीवन चरित्र से संबंधित विषयों को इस मेले में दर्शाया जाता है। इस मेले में कबीरपंथी तथा अन्य जागरूक लोग भाग लेते हैं।
लखनऊ महोत्सव

अवध कालीन परंपरागत लोक नृत्य वैभव नजाकत तथा नफासत को लेकर लखनऊ महानगर में आयोजित इस महोत्सव में प्रदर्शित किया जाता है।


इलाहाबाद उत्सव
इलाहाबाद में आयोजित इस महोत्सव में मिलीजुली संस्कृति की विरासत का अवलोकन किया जाता है। इनके वृंदावन हरिदास स्मृति संगीत समारोह का आयोजन, झांसी में महोत्सव का आयोजन, मथुरा में होलीकोत्सव तथा कन्नौज में कन्नौज उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

कामीपल उत्सव
फर्रुखाबाद के रामेश्वर नाथ एवं कमलेश्वर नाथ तथा जैनियों के मंदिर मेंकाम्पिल उत्सव का आयोजन किया जाता है। जैन धर्मावलंबियों की संस्कृति को भी इस उत्सव के अंतर्गत दर्शाया जाता है।


वाराणसी उत्सव
वाराणसी में आयोजित पर होने वाले उत्सव के अंतर्गत भारतीय धर्म सांस्कृतिक तथा ज्ञान विज्ञान के विषयों से संबंधित दृश्यों को प्रस्तुत किया जाता है।

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