आपको बता दें कि मप्र में जनजातीय आबादी सिकल सेल एनीमिया रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसीलिए इसके प्रबंधन, रोकथाम के लिए शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर के अभियान की शुरुआत की है।
क्या है सिकल सेल एनीमिया?
सिकल सेल एनीमिया खून की कमी से जुड़ी एक बीमारी है। इस आनुवांशिक डिसऑर्डर में ब्लड सेल्स या तो टूट जाती हैं या उनका साइज और शेप बदलने लगता है, जो खून की नसों में ब्लॉकेज कर का कारण बनता है। सिकल सेल एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स मर भी जाती हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है। जेनेटिक बीमारी होने के चलते शरीर में खून भी बनना बंद हो जाता है। वहीं शरीर में खून की कमी होने के कारण यह रोग कई जरूरी अंगों को डैमेज करने लगता है। इनमें किडनी, स्पिलीन यानी तिल्ली और लिवर जैसे अंग शामिल हैं।
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
जब भी किसी को सिकल सेल एनीमिया हो जाता है तो उसमें कई लक्षण दिखाई देते हैं।
– हर समय हड्डियों और मसल्स में दर्द रहना।
– तिल्ली का आकार बढ़ जाता है।
– शरीर के अंगों खासतौर पर हाथ और पैरों में दर्द भरी सूजन आ जाती है।
– खून नहीं बनता।
– बार-बार खून की भारी कमी होने के कारण अक्सर खून चढ़ाना पड़ता है।
क्या है इलाज
सिकल सेल एनीमिया बीमारी का पूरी तरह निदान संभव नहीं है। हालांकि ब्लड टेस्ट के माध्यम से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। फॉलिक एसिड आदि दवाओं के सहारे इस बीमारी के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए स्टेम सेल या बोन मेरो ट्रांस्प्लांट एक मात्र उपाय है।
अचानक मौत का कारण भी
सिकल सेल एनीमिया के मरीजों में देखा जाता है कि मरीज की अचानक मौत हो जाती है। इसका कारण संक्रमण, बार-बार दर्द उठना। एक्यूट चेस्ट सिंड्रोम और स्ट्रोक आदि को माना जाता है। क्या कहता है सर्वे आपको बता दें कि पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार साल 2015 से 2016 के बीच 58.4 फीसदी बच्चे और 53 फीसदी महिलाएं इस बीमारी के शिकार हुए हैं। पिछले 6 दशकों से यह बीमारी भारत में पनप रही है। वहीं जनजातीय आबादी इस रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित है।