scriptक्या है सनातन धर्म, कितना जानते हैं आप ? | important fact of Sanatan Dharma How much do you know about Sanatan Dharma element | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

क्या है सनातन धर्म, कितना जानते हैं आप ?

Sanatan Dharma सनातन को समझना आसान नहीं है, ज्ञान की लंबी परंपरा में दृष्टा ऋषियों ने इसके बारे में कई बातें कहीं हैं, कई लोग उनको समझ नहीं पाते । इसलिए कुछ लोग इसे अलग-अलग मानते हैं पर यह अंतर समय और समझने वालों की संस्कृति का है.. लेकिन मोटे तौर पर कुछ बाते हैं जिनसे सनातन को समझा जा सकता है। सनातन से तात्पर्य शाश्वत से है, यानी जो अनादिकाल से चला रहा है आइये जानते हैं सनातन की कुछ बातें..

Sep 20, 2023 / 06:12 pm

Pravin Pandey

sanatan.jpg

क्या है सनातन धर्म, जानिए कुछ तथ्य

1. सत्यम् शिवम् सुंदरम् सनातन की बुनियाद है, ऋग्वेद के अनुसार जो सदा के लिए सत्य है यानी शाश्वत है वही सनातन है। ईश्वर, आत्मा और मोक्ष सत्य है, इसलिए इस मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म है और सत्य भी है। यह सत्य अनादिकाल से चल रहा है, जिसका अंत नहीं होगा। जिनका न प्रारंभ है और न अंत है उस सत्य को ही सनातन कहते हैं और यही सनातन धर्म का सत्य है।

2. धर्म ग्रंथों के अनुसार वैदिक या हिंदू धर्म को सनातन धर्म इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि यही एक मात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है। एकनिष्ठता, ध्यान, मौन और तप सहित यम-नियम के अभ्यास और जागरण का मोक्ष मार्ग है अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है। मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है। यही सनातन धर्म का सत्य है। सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम-नियम आदि हैं जिनका शाश्वत महत्व है।

3. सनातन के अनुसार, सत्य दो धातुओं से मिलकर बना है सत् और तत्। सत का अर्थ यह और तत का अर्थ वह। इस तरह दोनों ही सत्य है। सनातन के अनुसार अहं ब्रह्मास्मि (मैं ही ब्रह्म हूं) और तत्वमसि (तुम ही ब्रह्म हो) यानी यह संपूर्ण जगत ब्रह्ममय है। ब्रह्मपूर्ण है। यह जगत् भी पूर्ण है। पूर्ण जगत् की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुई है। पूर्ण ब्रह्म से पूर्ण जगत् की उत्पत्ति होने पर भी ब्रह्म की पूर्णता में कोई न्यूनता नहीं आती। वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है। यही सनातन का सत्य है।

4. सनातन ग्रंथों के अनुसार जो तत्व सदा, सर्वदा, निर्लेप, निरंजन, निर्विकार और सदैव स्वरूप में स्थित रहता है, उसे सनातन या शाश्वत सत्य कहते हैं। वेदों का ब्रह्म और गीता का स्थितप्रज्ञ ही शाश्वत सत्य है। जड़, प्राण, मन, आत्मा और ब्रह्म शाश्वत सत्य की श्रेणी में आते हैं। सृष्टि व ईश्वर (ब्रह्म) अनादि, अनंत, सनातन और सर्वविभु हैं।
ये भी पढ़ेंः Rishi Panchami Katha: ऋषि पंचमी व्रत की कथा बगैर अधूरा रहता है व्रत, जानें महात्म्य


5. सनातन के अनुसार जड़ पांच तत्व से दृश्यमान होता है- आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी। यह सभी शाश्वत सत्य की श्रेणी में आते हैं। यह अपना रूप बदलते रहते हैं लेकिन समाप्त नहीं होते। प्राण की भी अपनी अवस्थाएं हैं: प्राण, अपान, समान और यम। उसी तरह आत्मा की अवस्थाएं हैं: जाग्रत, स्वप्न, सुसुप्ति और तुर्या। ज्ञानी लोग ब्रह्म को निर्गुण और सगुण कहते हैं। यह सारे भेद तब तक विद्यमान रहते हैं जब तक ‍कि आत्मा मोक्ष प्राप्त न कर ले। यही सनातन धर्म का सत्य है।

6. सनातन ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्म महाआकाश है तो आत्मा घटाकाश। आत्मा का मोक्ष परायण हो जाना ही ब्रह्म में लीन हो जाना है इसीलिए कहते हैं कि ब्रह्म सत्य है जगत मिथ्‍या यही सनातन सत्य है। और इस शाश्वत सत्य को जानने या मानने वाला ही सनातनी कहलाता है। मोक्ष के बगैर आत्मा की कोई गति नहीं इसीलिए ऋषियों ने मोक्ष के मार्ग (यम, नियम, अभ्यास और जागरण से ही मोक्ष मार्ग पुष्ट होता है। मोक्ष से ही ब्रह्म हुआ जा सकता है। ) को ही सनातन मार्ग माना है।

7. सनातन धर्म के मानने वालों के लिए हिंदू और आर्य नाम सबसे पहले पारसियों के धर्म ग्रंथ अवेस्ता में मिलता है। वहीं कुछ इतिहासकार चीनी यात्री हुएनसांग के समय हिंदू शब्द की उत्पत्ति ‍इंदु से मानते हैं जो इंदु यानी चंद्रमा का पर्यायवाची है। कहा जाता है कि भारतीय ज्योतिषीय गणना का आधार चंद्रमास है। अत: चीन के लोग भारतीयों को ‘इन्तु’ या ‘हिंदू’ कहने लगे। कुछ विद्वान कहते हैं कि हिमालय से हिन्दू शब्द की उत्पत्ति हुई है। हिन्दू कुश पर्वत इसका उदाहरण है। यह भी माना जाता है कि हिन्दू शब्द कोई अप्रभंश शब्द नहीं है. अन्यथा सिंधु नदी को भी हिन्दू नहीं कहा जाता।

8. आर्य समाज के लोग सनातन धर्म को ही आर्य धर्म भी कहते हैं, जबकि आर्य किसी जाति या धर्म का नाम न होकर इसका अर्थ सिर्फ श्रेष्ठ ही माना जाता है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य का अर्थ चार श्रेष्ठ सत्य ही होता है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी का भी यही कहना है।
ये भी पढ़ेंः Best Ganesha Aarti: ये हैं गणेशजी की सबसे लोकप्रिय आरती, गाने वाले को मिलती है गजानन की कृपा


9. ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार हम प्राचीन काल से पूजा में संकल्प के दौरान जम्बूद्वीपे भरतखंडे भरतवर्षे आर्यावर्तांतर गते देशे..की बात करते रहे हैं। जिसका अर्थ है कि एशिया महाद्वीप या सातों महाद्वीपों के मध्य की भूमि यानी ऐसी भूमि जिसकी सीमा हिमालय से शुरू होती है सिंधुघाटी तक जाती है, दक्षिण एशिया का संपूर्ण भाग आता है और जहां पर आर्य नाम की श्रेष्ठ जाति रहती है, आर्य का अर्थ यह भी है कि भारत में रहने वाले श्रेष्ठ जन (हालांकि इसमें जाति वर्ण से कोई लेना देना नहीं है) यानी जहां श्रेष्ठ लोग हमेशा जन्म लेते हैं। वेदों और विष्णु पुराण में भी इसका जिक्र आता है। इस काल खंड ज्ञान व दर्शन को मानने वाले सनातनी हैं।

10. मद्रास हाई कोर्ट ने बीते दिनों कहा था सनातन धर्म ‘शाश्वत कर्तव्यों’ का समूह है, जिसे हिंदू धर्म से संबंधित कई स्रोतों या हिंदू जीवन शैली का पालन करने वालों से एकत्र किया जा सकता है। इसमें राष्ट्र के प्रति कर्तव्य, राजा के प्रति कर्तव्य, अपने लोगों के प्रति राजा का कर्तव्य, अपने माता-पिता और गुरुओं के प्रति कर्तव्य, गरीबों की देखभाल और कई अन्य कर्तव्य शामिल हैं।

11. इशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु के अनुसार सनातन धर्म कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जो आपको बताए कि आप इस पर विश्वास कीजिए, वर्ना आप मर जाएंगे। यह आपको कुछ ऐसा बताता है, जो आपके मन में सवाल उठाए, ऐसे सवाल जिनके बारे में शायद आपने कभी कल्पना भी नहीं की हो। सनातन धर्म की पूरी प्रक्रिया आपके भीतर प्रश्नों को खड़ा करने के लिए ही है और यह आपके भीतर इस तरह से सवाल खड़े करने की गहनता लाता है कि आप खुद ब खुद इन सवालों के जवाब का स्रोत तलाश लेते हैं।

Hindi News/ Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / क्या है सनातन धर्म, कितना जानते हैं आप ?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो