Mahendra Singh Tikait Anniversary: किसानों की बुलंद आवाज थे बाबा टिकैत, मुख्यमंत्री को पिलवाया था चुल्लू में पानी

देश के सबसे बड़े किसान नेताओं में शुमार चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले स्थित सिसौली गांव में 6 अक्टूबर 1935 को हुआ था.

Mahendra Singh Tikait Anniversary: किसानों की बुलंद आवाज थे बाबा टिकैत, मुख्यमंत्री को पिलवाया था चुल्लू में पानी
महेंद्र स‍िंह ट‍िकैत भारतीय क‍िसान यून‍ियन के संस्‍थापक थे.Image Credit source: tv9
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| Updated on: Oct 06, 2022 | 1:50 PM

देश में किसान आंदोलन नए नहीं है. आजादी से पहले और आजादी के बाद कई छोटे-बड़े आंदोलन होते रहे हैं. तो वहीं इसके साथ ही किसान संघर्षों के लिए कई किसान संगठन भी बनते रहे. लेकिन, इन सबके बीच महेंद्र सिंह टिकैत और भारतीय किसान यूनियन की अपनी एक अलग पहचान है. किसानों के बीच बाबा टिकैत के नाम से पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह टिकैत ने ही भारतीय किसान यूनियन की स्थापना की थी. जिसमें भारतीय किसानों की असली यूनियन बाबा टिकैत ही थे. जो किसानों की बुलंंद आवाज थे. उनके नेतृत्व में आयोजित किसान आंदोलन और उनके तेवर उनकी शख्सियतों को बयां करने के लिए काफी है. किसान आंदोलन में मुख्यमंत्री तक को चुल्लू में पानी पिलवा चुके बाबा टिकैत के जयंती 6 अक्टूबर पर उनकी शख्सियत को रेखांकित करती हुई एक रिपोर्ट…

6 अक्टूबर 1935 को सिसौली में जन्मे थे बाबा टिकैत

देश के सबसे बड़े किसान नेताओं में शुमार चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले स्थित सिसौली गांव में 6 अक्टूबर 1935 को हुआ था. किसान परिवार से संबंध रखने वाले बाबा सिंह टिकैत खांटी किसान थे. उनके पिता का निधन 8 साल की उम्र में ही हो गया था और यहीं से उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों का दौर भी शुरू हो गया. असल में पिता की माैत के बाद वे बालियान खाप के चौधरी बने. बाबा टिकैत का निधन 15 मई 2011 को हुआ था.

बिजली के दामों के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन और किसान नेता बने बाबा टिकैत

बाबा टिकैत के देश के सबसे बड़े किसान नेता बनने का सफर 80 के दश में बिजली के दामों के विरोध में शुरू हुए एक प्रदर्शन से हुआ था. बेशक, इस प्रदर्शन का नेतृत्व पहले बाबा ने नहीं किया था. लेकिन, प्रदर्शन में उपजे हालातों ने बाबा टिकैत को किसानों का सर्वमान्य नेता बना दिया था. असल में इस प्रदर्शन में पुलिस की गाेलीबारी से कुछ किसानों की माैत हो गई. तो बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को प्रदर्शन का मोर्चां संभालना पड़ा. इसके बाद जो हुआ, उसमें बाबा टिकैत किसानों के सर्वमान्य नेता बन गए तो वहींं भारतीय किसान यूनियन अस्तित्व में आई.

मुख्यमंत्री को चुल्लू में पानी पिलाने का यह है किस्सा

बाबा टिकैत आंदोलन में अपने तेवरों के लिए किसानों के बीच बेहद ही लोकप्रिय थे. जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को आधा किलोमीटर पैदल चलाना और फिल चुल्लू में पानी पिलवाने के घटनाक्रम ने किसानों के बीच उनकी लोक्रप्रियता को और बढ़ दिया. असल में मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह बिजली के मुद्दे पर हो रहे किसानों के प्रदर्शन को खत्म करवाना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने किसानों के हित में फैसला लेने का विचार किया और इस संबंध में सिसौली आने के लिए बाबा टिकैत से संपर्क साधा.

मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के प्रस्ताव पर बाबा टिकैत ने सहमति जताई. लेकिन, साथ ही प्रदर्शन स्थल पर कांग्रेस पार्टी का झंडा ना होने और उनके साथ कोई भी कांग्रेस कार्यकता और पुलिस ना होने की शर्त चस्पा कर दी. इस शर्त को मुख्यमंत्री ने भी स्वीकार लिया. लेकिन, जब मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर सिसौली गांव पर उतरा तो उनकी मुश्किलें बढ़ गई.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री को हैलीपैड से गांव तक आधा किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ा. तो वहीं मंच पर पहुंचकर जब मुख्यमंत्री ने पीने के लिए पानी मांगा तो उन्हें टिकैत के लोगों नें उनके दोनों हाथ जुड़वा कर चुल्लू में पानी पिलाया. वहीं इन सबके बीच बाबा टिकैत ने मुख्यमंत्री को मंच से ही खरी खोटी सुनाई. नतीजतन अपमान में मुख्यमंत्री ने बिना घोषणा करें ही लखनऊ का रूख किया.

वोट क्लब रैली में पहुंचे 5 लाख किसान, राजपथ पर बनाता था खाना

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की धमक को 1988 में पूरे देश ने देखा. जब वोट क्लब में उनके नेतृत्व में अपनी मांगों के साथ कई राज्यों से 5 लाख से अधिक किसान जुटे और इंडिया गेट से लेकर राजपथ पर किसानों का जमावड़ा लग गया. नतीजतन पर राजपथ किसानों के चूल्हें जलने लगे. तो वहीं राजपथ पर मवेशियों ने डेरा जमा लिया. इससे सरकार घबरा गई.

असल में उस दौरान राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. तो वहीं सरकार को शुरू में ही किसानों की मांगों और उनके आंदोलन की जानकारी हो गई थी. लेकिन, महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में देशभर के किसान वोट क्लब में जुट गए और देखते ही देखते हुए वोट क्लब किसान क्लब में तब्दील हो गया. इससे सरकार सकते में आ गई. हालांकि सरकार की तरफ से किसानों की मांगों पर कोई विचार नहीं किया.लेकिन, टिकैत ने अचानक से आंदोलन खत्म करने की घोषणा की.

गंवई अंदाज और सादगी थी पहचान

6 फीट से अधिक लंबे बाबा टिकैत अपनी सादगी और गंवई अंदाज के लिए जाने जाते थे. उनकी सादगी का आलम यह था कि वह हमेशा धोती पहने हुए रहते थे. वहीं बाबा टिकैत आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी साथी किसानों के साथ पत्तल में खाते हुए आसानी से देखे जा सकते थे. उनके यहीं गुण किसानों के बीच उन्हें सर्वमान्य बनाते रहे.

किसान आंदोलन को कभी राजनीतिक नहीं होने दिया

बाबा टिकैत के अराजनैतिक होने के चलते उनकी सर्वमान्यता हमेशा से बनी रहे. बेशक, किसी भी पार्टी की सरकार हो, उन्होंने कभी भी किसान आंदोलन को राजनीतिक नहीं होने दिया. तो वहीं कभी भी उन्होंने किसान आंदोलन के मंच पर किसी भी राजनीतिक दल के नेतो को नहीं चढ़ाया.

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