जानिए देश में कब रही थी सबसे ज्यादा महंगाई दर? ऐसा रहा है भारत में महंगाई का इतिहास

Inflation Rate In India: भारत में अभी महंगाई सबसे अहम मुद्दों में से एक है और महंगाई लंबे वक्त से भारत की सबसे बड़ी दिक्कतों में से एक रही है. ऐसे में जानते हैं कब-कब महंगाई ने भारत की जनता को परेशान किया है.

जानिए देश में कब रही थी सबसे ज्यादा महंगाई दर? ऐसा रहा है भारत में महंगाई का इतिहास
फरवरी 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 13.11 फीसदी रही थी.
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| Updated on: Apr 06, 2022 | 2:50 PM

बाजार में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा महंगाई (Inflation In India) की है. सब्जी की दुकान से लेकर पेट्रोल पंप तक हर कोई महंगाई पर बात कर रहा है. हाल ही के दिनों में कई चीजों के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन, महंगाई (Inflation Rate In India) आज से नहीं बल्कि लंबे समय से भारत की अहम समस्या है और चुनाव से लेकर सामाजिक मुद्दों में महंगाई का नाम शामिल होता है. आप आज की महंगाई और बढ़ती कीमतों को तो देख रहे हैं, लेकिन क्या आप भारत में महंगाई के इतिहास (Inflation In Indian History) के बारे में जानते हैं कि आखिर किस तरह से महंगाई भारत का हिस्सा रही है.

तो आज हम आपको बताते हैं कि भारत में आजादी के बाद महंगाई का क्या इतिहास रहा है. किन-किन सालों में महंगाई ने ज्यादा परेशान किया और किस दशक में लोगों को महंगाई से राहत मिली. इसके बाद आप समझ पाएंगे कि महंगाई भारत में कितनी बड़ी समस्या है.

अगर आजादी के बाद से अभी तक की महंगाई का अंदाजा आप अपने घर के बुजुर्गों की बातों से ही लगा सकते हैं. अक्सर आपने सुना होगा कि बुजर्ग कहा करते हैं कि एक समय में घी कुछ पैसे मिलता था या फिर खाने का सामान काफी सस्ता था. लेकिन, आप आज की रेट से अंदाजा लगा सकते हैं कि जो चीज 50 पैसे मिलती थी, वो करीब 1000 रुपये की हो गई है. यानी अभी तक 50 साल में चीजों के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं.

1950 में क्या थे हालात?

भारत को साल 1947 में आजादी मिली थी और उस वक्त 50 के दशक में महंगाई की दर करीब 2 पर्सेंट थी. लेकिन 1950 से 60 के बीच में महंगाई दर में उतरा चढ़ाव रहा और 1956-57 के बीच औद्योगीकरण के उपायों के कारण यह 13.8 प्रतिशत हो गई थी. लेकिन इस दशके अंत में यह दर फिर से 3-7 फीसदी तक आ गई.

1960 के दशक में युद्ध का रहा असर

स्क्रिपबॉक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार,  1960 के बाद महंगाई दर करीब 6 फीसदी तक रही. इस दौरान भारत को 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान से जंग भी लड़नी पड़ी. इससे एकोनॉमिक डवलमेंट और औद्योगिकरण पर भी काफी असर पड़ा. 1965 के आसपास महंगाई अपनी चरम सीमा पर थी और चीजों के दाम युद्ध की वजह से काफी बढ़ गए थे. हालांकि, साल 1969 आते आते इसमें स्थिरता आई और एग्रीकल्चर सेक्टर का अच्छा सपोर्ट मिली. हरित क्रांति की वजह से महंगाई पर कंट्रोल रहा.

1970 में अलग रही परिस्थितियां

महंगाई दर की अनिश्चितता के मामले में 70 का दशक शायद सबसे अधिक उथल-पुथल भरा दौर था. 1970 के दशक में मुद्रास्फीति औसतन 7.5% थी और 1973 के पहले तेल झटके के बीच 1974 में अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में 250 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी. ये वो दशक था जब पहली बार आजादी के बाद पहली बार 1973-74 में मुद्रास्फीति 20% को पार कर गई. तेल आयात पर भारी निर्भरता की वजह से देश में तेल के रेट काफी ज्यादा बढ़ गए. जब कच्चे तेल की कीमतें कम हुई तो 1979-80 में महंगाई कंट्रोल में आई.

1980 में भी महंगाई बनी संकट

इस वक्त आजादी को कई साल बीत चुके थे, लेकिन महंगाई ने अपनी रफ्तार कम नहीं की थी. इस दशक में महंगाई की दर 9.2% थी. माना जाता है कि उस वक्त सरकार की विस्तारवादी राजकोषीय नीतियों और उसके मुद्रीकरण की वजह से महंगाई इस स्तर पर थी. इसके बाद राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी हुई थी और इस वक्त ज्यादा नोट छापने जैसे फैसले लिए गए थे. लेकिन, 1980 के दशक में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आंशिक रूप से उदार बनाने के बाद विदेशी खाते में असंतुलन रहा.

1990 में ऐसा रहा हाल

इस दशक को सबसे ज्यादा महंगाई दर वाले दशक के रूप में जाना जाता है. साल 1991 में तो यहां महंगाई की दर 13.9 तक हो गई थी. मगर फिर धीर धीरे इसमें कमी आई. मगर इस दशक में अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम कदम उठाए गए थे, जिनमें उदारीकरण आदि शामिल है.

2000 के बाद मिली आस

जुलाई 2008 में कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद, 2009 और 2010 में मुद्रास्फीति दर दोहरे अंकों को पार कर गई. 2008 और 2013 के बीच, बढ़ती वैश्विक तेल और धातु की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति औसतन 10.1% प्रति वर्ष रही. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए, सरकार ने 2008 और 2009 में कई राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की, जिससे एक बार फिर से राजकोषीय घाटा बढ़ गया जिससे कीमतों पर दबाव पड़ा.

हालांकि, 2014 के बाद से आर्थिक मंदी के साथ मुद्रास्फीति का स्तर नीचे था और जीएसटी जैसे उपायों को लागू किया गया. साल 2020 में महामारी के बीच, महंगाई दर बढ़कर 6.6% हो गई. इसके बाद कई बार महंगाई की दर में उतार-चढ़ाव देखे गए और वर्तमान परिस्थिति आपके सामने है.

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