RIP father of Sudoku: बच्चा-बच्चा खेलता है Sudoku, लेकिन किसने और कब की इसकी शुरुआत- जानें इसका राज
RIP father of Sudoku: फादर ऑफ सुडोकू 69 साल की उम्र में हमें अलविदा कह गए हैं. इस गेम को भले ही किसी और ने लॉन्च किया हो, लेकिन इसे पॉपुलर और इंटरेस्टिंग बनाने में Maki Kaji का योगदान रहा है.
RIP father of Sudoku: सुडोकू (Sudoku) हम सभी बचपन से खेलते आ रहे हैं. इसे बच्चे से लेकर बूढ़ा तक खेलता आ रहा है. लेकिन आज Sudoku खेलने वालों के लिए एक बुरी खबर है. फादर ऑफ सुडोकू माकी काजी (Maki Kaji) हमें 10 अगस्त को इस दुनिया से अलविदा कह गए. उनकी डेथ कैंसर की वजह से हुई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने Sudoku से देश और दुनिया में अपनी कितनी खास पहचान बनाई है. आइए जानते हैं कि Sudoku का आविष्कार किसने किया और कब इसकी शुरुआत हुई.
दरअसल हम Sudoku इसलिए खेलते हैं क्योंकि इसकी पहेलियां हमे इसमें उलझा देती हैं. साथ ही में हमे चुनौतियों का सफर तय करवाती है. इसे सॉल्व करने के बाद अलग ही खुशी महसूस होती है. बता दें Sudoku का आविष्कार स्विस गणितज्ञ लियोनहार्ड यूलर (Leonhard Euler) ने 18वीं शताब्दी में किया था. लेकिन इसे खास और पॉपुलर बनाने में माकी काजी (Maki kaji) का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
Sudoku का हुआ वर्ल्ड चैंपियनशिप आयोजन
काजी के इस नंबर वाले पजल ने दुनिया में सभी को एंटरटेनमेंट से बांधे रखा. साल 1980 में काजी ने इसे मैगजीन में छापना शुरू कर दिया था, जिसके बाद से इसकी लोकप्रिया और बढ़ती चली गई. इसके बाद लोगों ने इसे इतना ज्यादा पसंद किया कि इसको डिजिटल भी लॉन्च किया गया. साथ ही 2006 से हर साल इसके वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन किया जाने लगा. काजी को इसमें सम्मानित रूप से चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया जाता था.
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काजी के लाइफस्टाइस से जुड़ी बातें
काजी का जन्म साल 1951 में सेपोरो में हुआ था. अपनी 12th क्लास को कम्पीट करने के बाद उन्होंने कियो यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था. लेकिन 1970 में जापान-अमेरिकी सुरक्षा समझौते के विरोध के चलते उनकी कई क्लासेस मिस हो गई, जिसके चलते Maki Kaji को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने प्रिंटिंग कंपनी में नौकरी ढूंढ़ी. ऐसे में उनकी नजर गई अमेरिकी मैगजीन पर, जिस पर नंबर क्रॉसवर्ड वाले गेम पर उनकी नजरें टिक कर रह गईं.
1980 में लॉन्च की थी पहली पजल मैगजीन
Maki kaji ने साल 1980 में अपनी पहली मैगजीन को लॉन्च किया था. इस मैगजीन को उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जापान में ही 'पजल सुशिन निकोली' के नाम से लॉन्च किया था. इसका Title उन्होंने तय किया 'अंकों को अकेला रहना चाहिए', यानी की 'कुंवारे'. इस पजल का नाम 'सुडोकू' (Sudoku) रखा, जिसे देश और दुनिया में इसी नाम से जाना जाने लगा.
जापान के फेमस 'पजल कॉर्नर'
इसके अलावा वो यहीं तक नहीं थमे. उन्होंने साल 1983 में निकोली कंपनी की स्थापना की. अपने रूटीन को फॉलो करने हुए Maki Kaji ने हर तीन महीने में 'पजल मैगजीन' में पहेलियां बनाना और उन्हें और बेहतर तरीके से पेश करने की योजना बनाई. माकी ने जापान में पजल की बुक को पब्लिश करना शुरू कर दिया. इसके बाद हर बुक स्टोर्स में उनके 'पजल कॉर्नर' (Puzzle Corner) दिखाई देने लगे.
12:35 PM IST